हिन्दू धर्म दुनिया का सबसे पुराना धर्म है भारत का सबसे बड़ा धर्म होने के साथ-साथ अपने आप में एक रहस्य और ज्ञान का भण्डार है। हिन्दू धर्म की प्रक्रिया चार युगो में बटी हुई है और ऐसा माना जाता है की यही प्रक्रिया हमेशा चलती रहती है। 

सनातन धर्म अपने आप में ही सम्पूर्ण है ये कभी समाप्त नहीं हो सकता क्योंकि यही सृष्टि का नियम है जिसके अनुसार यह संसार चलता है जिसको हम हिन्दू धर्म बोलते है। इस लेख में हम आपको युग, त्रिदेव, पंथ, ग्रन्थ, वेद, पुराण अथवा इसके इतिहास के बारे में बताएंगे।


(चार युग और उसमे लिए गए भगवान विष्णु के अवतार)

सतयुग || मानव वर्ष 17,28000 || अवतार - मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिम्हा

त्रेता || मानव वर्ष 12,96000 || अवतार - वामन,परशुराम,राम

द्वापर || मानव वर्ष 8,64000 || अवतार - कृष्ण, गौतम बुद्ध

कलयुग || मानव वर्ष 4,32000 || अवतार - कल्कि


कौन है त्रिदेव ? क्या है उनके काम।


(1) ब्रह्मा (BRAHMA) = ब्रह्माण्ड बनाने वाले। (CREATOR)
(2) विष्णु (VISHNU) =  परिरक्षक (PRESERVER)
(3) महेश (MAHESH) = मिटाने वाला (DESTROYER)

ब्रह्मा जी इस ब्रह्माण्ड का निर्माण करते है। वही विष्णु जी ये बताते है की जीवन कैसे व्यतीत करना है धर्म से ही कर्म बनता है इसके बिना मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती। महेश इस ब्रह्माण्ड के संघार करता है, जब जब सृष्टि में पाप बढ़ता है तब तब भगवान शिव इसका विनाश करते है और फिर से ये चक्र प्राम्भ होता है।


How did Hinduism start


सनातन धर्म का इतिहास।

1500 BCE से पहले Pre-Vedic Period था। 1500 - 500 BC तक ये वैदिक(Vedic) Period था वेदो का संग्रह (collection) हुआ। उस समय ऋषि मुनियो को साक्षात ईष्वर के दर्शन हुए उन्हें बताया गया यह वेद हमारी वाणी है इनको लिखो वेदो को श्रुती (सुनना) में रखा जाता है या स्मृति (याद) में।

उसके बाद गुरु शंकराचार्य आए तत्त्वज्ञान (philosophy) बताया भक्ति शुरू हुई उसके बाद मॉडर्न (Modern) हिन्दू धर्म शुरू हो गया था। स्वामी विवेकानंद और राजा राम मोहन रॉय (father of modern india) कहे जाते है। 


हिन्दू धर्म में ज्ञान को दो श्रेणियों में रखा गया है। 

परा विद्या (Para) = संसार का वैज्ञानिक ज्ञान परा विद्या में रखा गया है। 

अपरा विद्या (Apara) = व्ही आध्यात्मिक ज्ञान यानि परमात्मा और आत्मा को अपरा विद्या में रखा गया है। 


हिन्दू धर्म के 5 मुख्य आधार है 

(1) ईश्वर, (2) जीव,  (3) काल, (4) प्रकर्ति, (5) कर्म  इन्ही नियमो पर आधारित सनातन धर्म हमे जीवन मृत्यु और ब्रह्माण्ड, ईश्वर के बारे में सम्पूर्ण ज्ञान देता है। 



योग (YOG) - जिससे हमको मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

  • कर्मयोग = अपने कर्म हमेशा अच्छे रखे किसी का बुरा न करे। 
  • भक्तियोग = प्रभु की भक्ति में लीन हो जाओ। 
  • ज्ञानयोग = बहुत ज्ञानी हो जाओ। 
  • हटयोग = अपने शरीर को अच्छी तरह प्रशिक्षित (Trained) कर लो। 
बिना कर्म के मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती कर्मो को अच्छा रखना जरूरी होता है। 


3 तरीको से आप योग कर सकते है - 

  1. सत = खुद ही इन चारो योग को अपने तरिके से समज जाओ। 
  2. चीत = हर मनुष्य के अंदर परात्मा का एक हिस्सा होता है आत्मा ज्ञानयोग से उसको समझलो। 
  3. आनंद = भक्ति में इतने विलीन होजाओ की परम आनंद की प्राप्ती हो जाए। 

ॐ एक ऐसा शब्द है जिसका उच्चारण करने से आपकी पूरी तरह से लौकिक ऊर्जा (Cosmic energy) सीधे ब्रह्म से मिल जाती है। 



हिन्दू धर्म के सम्प्रदाय 

हिन्दू धर्म के चार प्रमुख सम्प्रदाय है - (1) वैष्णव, (2) शैव, (3) शाक्त, (4) स्मार्त
                                  
वैष्णव जो विष्णु को परमेश्वर मानते हैं। 
शैव जो शिव को परमेश्वर मानते हैं। 
शाक्त जो देवी को ही परमशक्ति मानते हैं। 
स्मार्त जो परमेश्वर के विभिन्न रूपों को एक ही समान मानते हैं। 

प्रेतैक सम्प्रदाय का धर्म ग्रन्थ वेद ही है। हर सम्प्रदाय के तत्वज्ञान, पाठशाला और वंशज एक ही उद्देश्य बताते है जो है आत्मज्ञान की खोज करना। 


हिन्दू धर्म ग्रन्थ 


वेद (Veda) = ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद  

वेद दुनिया के सबसे प्राचीन ग्रन्थ है। वेदो के रचियता ब्रम्हा जी है। वेदो के संकलन कर्ता महर्षि कृष्ण देव जी है। वेद शब्द की उतपति संस्कृत के विद् शब्द से हुई है। वेदो में पूरे ब्रमांड का ज्ञान उपलब्ध है। 

पुराण (Puraan) 

वेदो की भाषा मुश्किल होने के कारण उन्हें समझना आम लोगो के लिए मुश्किल था इसलिए उनको कथाओ दुवारा बताने की प्रथा चली इन्ही कथाओ के संकलन यानि शिक्षा को पुराण कहा जाता है। पुराण की रचना वेद व्यास जी ने की थी। 


पुराण की संख्या 18 है - ब्रह्म पुराण (Brhma Purana), पद्म पुराण (Padma Purana), विष्णु पुराण (Vishnu Purana), शिव पुराण (Shiva Purana), भागवत पुराण (Bhagwata Purana), नारद पुराण (Narad Purana), मार्कण्डेय पुराण (Markandeya Purana), अग्नि पुराण (Agni Purana), भविष्य पुराण (Bhavishya Purana), ब्रह्म वैवर्त पुराण (Brahma Vaivarta Purana), लिंग पुराण (Linga Purana), वराह पुराण (Varaha Purana), स्कन्द पुराण (Skanda Purana), वामन पुराण (Vamana Purana), कुर्मा पुराण (Kurma Purana), मतस्य पुराण (Matsya Purana), गरुड़ पुराण (Garuda Purana), ब्रह्माण्ड पुराण (Brahmanda Purana)


उपवेद (Upveda) 

 आयुर्वेद (Ayurveda), धनुर्वेद (Dhanurved), गन्धर्ववेद (Gandharvaveda), शिल्पवेद (Shilpaveda)


वेदांग (Vedang) 

वेदांग शब्द का अर्थ है वेदो के अंग यह 6 प्रकार के है - शिक्षा, व्याकरण, ज्योतिष, निरुक्त, छंद, कल्प


उपनिषद (Upanishads)

उपनिषद की संख्या कुछ ज्ञानी लोग 108 मानते है लेकिन जो मुख्य उपनिषद है उनकी संख्या 10 मानी गयी है।