हिन्दू धर्म विश्व का सबसे प्राचीन धर्म माना गया है। इसके प्राचीन ग्रंथ इस बात का प्रमाण देते है, सनातन धर्म/हिन्दू धर्म की सबसे महत्पूर्ण बात यह है की ये पूरी तरह से वैज्ञानिक है।
हमारे महान ऋषि मुनियो ने प्राचीन काल में ही इन ग्रंथो को लिख ये प्रमाण दे दिया था की सनातन धर्म सिर्फ धर्म नहीं बल्कि मनुष्य के जीवन की सच्चाई है।
आज के इस लेख में हम आपको सनातन धर्म के पुराणों के बारे में जानकारी देंगे। पुराण कितने प्रकार के है, किस चीज़ के बारे में है और इनका कार्य क्या है या यूँ कहे की ये क्यों महत्पूर्ण है।
पुराण क्या होते है?
पुराण का अर्थ होता है "प्राचीन" यानी की पुराना महर्षि वेदव्यास जी ने हमारी प्राचीन भाषा संस्कृत में इनका संकलन किया। वेदो का ज्ञान मनुष्य के लिए अत्यंत महत्पूर्ण था लेकिन उसको समझना आम मनुष्य के लिए बहुत कठिन था।
इसलिए वेदो के ज्ञान को रोचक कथाओ, कहानियो के माध्यम से बताने एवं समझाने की प्रथा चली। इन कहानियो, कथाओ के संकलन को पुराण कहा जाता है। वैदिक काल के काफी बाद में इन पुराण की रचना की गयी जो स्मृति विभाग में आते है।
पुराण कितने है?
वैसे तो तरह-तरह के ज्ञानी तरह-तरह की संख्या के बारे में बताते है। लेकिन पुराणों में जो सबसे महत्पूर्ण या यूँ कहे की महापुराण कहे गए है उनकी संख्या 18 है। तो चलिए आपको इन 18 पुराण के बारे में बताते है -
1. ब्रह्मा पुराण
ब्रह्म पुराण को सभी पुराणों में सबसे प्राचीन पुराण माना गया है। कुछ लोग इसे आदिपुराण के नाम से भी संभोधित करते है। इस पुराण में 246 अध्याय हैं। इसकी श्लोकः संख्या लगभग 10000-14000 है। इसमें सृष्टि की उत्पत्ति देवों और प्राणियों की उत्पत्ति का वर्णन मिलता है।
2. पद्म पुराण
इस पुराण में आपको श्री राम से लेकर भगवान श्री कृष्ण की जीवन एवं संघर्ष उनके तीर्थ स्थान का वर्णन मिलता है। पद्म पुराण को 5 खंडो में विभाजित किया गया है।
जिसके नाम कुछ इस प्रकार है - श्रुष्टिखंड, स्वर्गखंड , उत्तरखंड ,भूमिखंड ,और पातालखंड। इसमें आपको 55000 से अधिक श्लोकः मिलते है जो नारायण भक्ति के तथ्यों का वर्णन करते है।
3. विष्णु पुराण
विष्णु पुराण भगवान विष्णु को समर्पित है। इस पुराण में 6 अंश और 23000 श्लोकः मिलते है। इसमें आकाश, सूर्य, समुद्र, पर्वत, देवताओ की उत्पत्ति, कल्प-विभाग, सम्पूर्ण धर्म अथवा देवर्षि तथा राजर्षियों के चरित्र का विशेष वर्णन मिलता है।
4. वायु पुराण
वायु पुराण को शिव पुराण भी कहा जाता है। इस पुराण में राजवंश, ऋषिवंश,श्राद्ध, वेद शाखाए, खगोल, भूगोल, संगीत शास्त्र अथवा शिवभक्ति का विस्तार से वर्णन मिलता है। यह पुराण 2 खंड, 112 अध्याय अथवा 11000 श्लोकः से विभक्त है।
5. भागवत पुराण
यह पुराण दो रूपों में है पहला श्रीमद्भागवत अथवा देवीभागवत। बहुत से लोग श्रीमद्भागवत को ही पुराण के रूप में जानते है अथवा देवीभागवत को उपपुराण की कोटि में रखते है।
इसमें 18000 श्लोकः, 335 अध्याय तथा 12 स्कन्ध हैं। साधन-ज्ञान, सिद्धज्ञान, साधन-भक्ति, सिद्धा-भक्ति, मर्यादा-मार्ग, अनुग्रह-मार्ग आदि के बारे में विशेषताए इसमें वर्णित है।
6. नारद पुराण
इस महापुराण को नारदीय पुराण भी कहा जाता है। इसके 2 भाग है जिसमे कुल 14000-15000 श्लोकः है। यहा पुराण नारद जी के मुख कहा गया वैष्णव पुराण है। नारद पुराण में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष,उत्सवों, तथा व्रतों का वर्णन मिलता है।
7. मार्कण्डेय पुराण
मार्कण्डेय पुराण प्राचीन पुराणों में से एक है। मान्यता है की मार्कण्डेय ऋषि ने यहाँ क्रौष्ठि को सुनाया था। इसलिए इसका नाम मार्कण्डेय पुराण पड़ा। इसमें वैदिक देवताओं इन्द्र, अग्नि, सूर्य आदि का वर्णन किया गया है। इसमें 9000 श्लोकः, और 137 अध्याय मिलते है।
8. अग्नि पुराण
अग्नि पुराण को भी बाकी महापुराण की तरह ही माना गया है क्योंकि यहा खुद अग्नि देव के मुख की वाणी है। इसमें सभी विधाओं का वर्णन है जैसे की - भूगोल, गणित, फलित-ज्योतिष, विवाह, छन्द, काव्य, व्याकरण, कोष निर्माण, मृत्यु, शकुन विद्या, वास्तु विद्या,आयुर्वेद आदि।
साथ ही इसमें दुर्गा, शिवलिंग, गणेश, सूर्य का भी उल्लेख किया गया है। अग्नि पुराण में 383 अध्याय, और 15000 श्लोकः है।
9. भविष्य पुराण
विष्यपुराण के नाम से भी भविष्य पुराण को जाना जाता है, इसमें 121 अध्याय, और 2800 श्लोकः है जो की भविष्य की घटनाओ के बारे में बताते है जैसे की - मौर्यवंश ,छत्रपति शिवाजी ,मुगलवंश आदि। इसमें धर्म, सदाचार, नीति, उपदेश, व्रत, ज्योतिष, तीर्थ, दान एवं आयुर्वेद के विषयों के बारे में महत्पूर्ण जानकारी बताई गयी है।
10. ब्रह्मवैवर्त पुराण
इस पुराण में ब्रह्माजी द्वारा सभी भू-मंडल, जल-मंडल और वायु-मंडल में जीवन जीने वाले जीवों के जन्म और उनके पालन पोषण अथवा गणेश ,लक्ष्मी , श्री कृष्ण के चरित्र का विस्तार से वर्णन मिलता है। इसमें 163 अध्याय, और 18000 श्लोकः है।
11. लिंग पुराण
लिंग पुराण भगवान शिव को समर्पित है इसमें भगवान के सभी अवतारों की कथा मिलती है साथ ही साथ अघोर विद्या और लिंग के अर्थ का विस्तार से वर्णन है जो की भगवान शिव का शारिरिक अंग नहीं बल्कि उनका चिह्न है। इसमें 163 अध्याय 11000 श्लोकः है।
12. वराह पुराण
वराह पुराण भगवान विष्णु के अवतार भगवान वराह को समर्पित है। इसमें 217 अध्याय 10000 श्लोकः है।
13. स्कन्द पुराण
यहाँ पुराण भगवान शिव के पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित है यहा पुराणों में सबसे बड़ी पुराण है इसमें 7 खंड और 81000 श्लोकः है। इसमें शिव की महिमा, ज्योतिर्लिंगों, नदियों एवं नक्षत्रो का वर्णन मिलता है।
14. वामन पुराण
वामन पुराण भगवान विष्णु के अवतार वामन को समर्पित है। इसमें वामन अवतार की कथा के अलावा नर-नारायण, माँ दुर्गा, भक्त प्रह्लाद तथा श्रीदामा आदि के बारे में भी बताया गया है। इसमें 2 खंड, 95 अध्याय, 10000 श्लोकः है।
15. कूर्म पुराण
इस पुराण में भगवान विष्णु के कूर्म अवतार का विस्तार से उल्लेख किया गया है। इस पुराण में 17000 श्लोकः है।
16. मत्स्य पुराण
इस पुराण में, 290 अध्याय और 14000 श्लोकः है। यहाँ पुराण भगवान विष्णु के मत्स्य यानी मछली अवतार को समर्पित है। इसमें मत्स्य अवतार के साथ कलियुग के राजाओं का विस्तार से उल्लेख किया गया है।
17. गरुड़ पुराण
गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु ने गरुड़ देव को मृत्यु के बाद के बारे में विस्तार से बताया है, इसमें प्रेतलोक, यमलोक, तथा नरकलोक साथ नारायण भक्ति का विस्तार से वर्णन मिलता है। गरुड़ पुराण में 18000 श्लोकः और 279 अध्याय मिलते है।
18. ब्रह्माण्ड पुराण
ब्रह्माण्ड पुराण में, 12000 श्लोक एवं तीन भागो में विभक्त है -पूर्व, मध्य और उत्तर, ब्रह्माण्ड के ग्रहो के बारे में ब्रह्माण्ड पुराण में बताया गया है साथ ही साथ भगवान परशुराम की कथा, चंद्रवंशी तथा सूर्यवंशी राजाओ के इतिहास का उल्लेख किया गया है।
अंतिम शब्द
इस लेख में हमने आपको 18 मुख्य पुराणों के बारे में जानकारी प्रदान की है आशा करते है की आपको हमारा लेख पसंद आया होगा। इस लेख को अंत तक पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद। निवेदन इसे अपने बाकी मित्रों के साथ भी साझा करे।