सनातन धर्म में बृहस्पति देव को सभी देवताओ का गुरु माना जाता है। यह बुद्धि, विवेक, यश, सम्मान, धन, संतान का प्रतीक है। बृहस्पति देव किसी भी व्यक्ति को ज्ञान और सौभाग्य का वरदान प्रदान करते हैं। गुरूवार का दिन श्री नारायण एवं बृहस्पति देव को समर्पित है इस दिन इनकी आरती अवश्य करे।
बृहस्पति देव आरती || Brihaspati Dev Aarti
जय बृहस्पति देवा, ॐ जय बृहस्पति देवा ।
छिन छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा ॥
ॐ जय बृहस्पति देवा…
तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी ।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ॥
ॐ जय बृहस्पति देवा…
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता ।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता ॥
ॐ जय बृहस्पति देवा…
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े ।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े ॥
ॐ जय बृहस्पति देवा…
दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी ।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी ॥
ॐ जय बृहस्पति देवा…
सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारी ।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी ॥
ॐ जय बृहस्पति देवा…
जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे ।
जेष्ठानंद आनंदकर, सो निश्चय पावे ॥
ॐ जय बृहस्पति देवा…
सब बोलो विष्णु भगवान की जय !
बोलो बृहस्पतिदेव की जय !!
॥ इति श्री बृहस्पति देव आरती संपूर्णम् ॥
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