विंध्य पर्वत में निवास करने के कारण माता को विन्ध्येश्वरी कहा जाता है। श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्र में माता की महिमा की प्रशंशा और प्रार्थना की गयी है। शु…
Read more »माँ दुर्गा के अनेकों रूपों में से एक रूप विंध्यवासिनी माता का है। माता को यह नाम विंध्य पर्वत से मिला है जिसका अर्थ होता है विंध्य में निवास करने वाली। श…
Read more »शीतला माता की पूजा करने से खसरा, फोड़े और नेत्र रोग नहीं होते है। शीतला माता को चेचक की देवी माना जाता है। उन्हें सफाई का प्रतीक भी माना जाता है जो ताप य…
Read more »शीतला माता समस्त रोगो का नाश करने वाली देवी है। माता की नियमित पूजा करने से जिनके संतान नहीं है उन्हें संतान की प्राप्ति होती है, महिलाओं के सुख-सौभाग्य …
Read more »धर्म ग्रंथों में माता शीतला को आरोग्य और स्वच्छता की देवी माना जाता है। स्कंद पुराण अनुसार माता शीतला चेचक जैसे रोग की देवी हैं, यह हाथों में कलश, सू…
Read more »गणेश पुराण में वर्णित गणेश जी के नामाष्टक स्तोत्र अपने अर्थों में संयुक्त एवं शुभ करने वाला होता है। जो भक्त इसका तीनों सन्ध्याओं में पाठ करता है वह सभी …
Read more »सनातन धर्म के विख्यात देवताओ में से एक यमराज जी है। इनका एक नाम धर्मराज भी है। यमराज जी मृत्यु के देवता है इनके पिता सूर्यदेव अथवा माता संज्ञा है। सज्ञा …
Read more »नवग्रह का हमारे धर्म में बहुत बड़ा महत्व है क्योंकि नवग्रहों से हमारी कुंडली, भाग्य, जीवन, तीनों काल, स्वास्थ्य आदि जुड़े हुए हैं। श्री नवग्रह चालीसा में स…
Read more »गुरु गोरखनाथ ने अपने जीवनकाल में धर्म स्थापना के लिए बहुत महत्पूर्ण योगदान दिया हैं इनको गुरु गोरक्षनाथ के नाम से भी जाना जाता है। इन्हे नाथ संप्रदाय के …
Read more »श्री बगलामुखी चालीसा का नियमित पाठ करने से माता की कृपा दृष्टि सदैव अपने भक्तो पर बानी रहती है जिससे किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता। माता अपने भक्तो को ह…
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