श्री हनुमान जी को बजरंबली, आंजनेय और मारुति के नाम से भी जाना जाता है। वह भगवान शिवजी के सभी रूद्र अवतारों में सबसे बलवान और बुद्धिमान माने जाते हैं। रामायण के अनुसार वे श्री राम और माता जानकी के बहुत प्रिय है। वे भगवान राम और माता जानकी के भक्त, उनके सेवक अथवा उनके पुत्र के समान भी है। 

उनकी भक्ति से मनुष्य को सभी प्रकार के संकट से मुक्ति मिलती है इसलिए उन्हें संकट मोचन से भी संबोधित किया जाता है। बल, बुद्धि, ज्ञान, एकाग्रता आदि के लिए उनकी पूजा की जाती है। श्री हनुमान जी की आरती करने से श्री राम और माता जानकी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। 


Shree Hanumaan Aarti


श्री हनुमान आरती || Shree Hanumaan Aarti


|| श्री हनुमंत स्तुति ||

मनोजवं मारुत तुल्यवेगं,

जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम् ॥

वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं,

श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ॥


|| आरती || 

आरती कीजै हनुमान लला की ।

दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥


जाके बल से गिरवर काँपे ।

रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥


अंजनि पुत्र महा बलदाई ।

संतन के प्रभु सदा सहाई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की.....। 


दे वीरा रघुनाथ पठाए ।

लंका जारि सिया सुधि लाये ॥


लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।

जात पवनसुत बार न लाई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की.....।


लंका जारि असुर संहारे ।

सियाराम जी के काज सँवारे ॥


लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।

लाये संजिवन प्राण उबारे ॥

आरती कीजै हनुमान लला की.....।


पैठि पताल तोरि जमकारे ।

अहिरावण की भुजा उखारे ॥


बाईं भुजा असुर दल मारे ।

दाहिने भुजा संतजन तारे ॥

आरती कीजै हनुमान लला की.....।


सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।

जय जय जय हनुमान उचारें ॥


कंचन थार कपूर लौ छाई ।

आरती करत अंजना माई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ॥आरती कीजै हनुमान लला की.....।


जो हनुमानजी की आरती गावे ।

बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥


लंक विध्वंस किये रघुराई ।

तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥


आरती कीजै हनुमान लला की ।

दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

|| संपूर्णंम् || 


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