प्रतिदिन भगवान शिव का 'दारिद्र्य दहन स्तोत्र' का पाठ करने से मनुष्य की दरिद्रता का नाश होता है और उसको धन सम्पदा प्राप्त होती है। महर्षि वशिष्ट द्वारा रचित 'दारिद्र्य दहन स्तोत्र' मनुष्य को व्यापार में उन्नति और कर्ज से मुक्ति दिलवाने में सक्षम है।


दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र


विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय

कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय।

कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय

दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥1॥

अर्थ - समस्त चर अचर विश्व के स्वामी विश्वेश्वर, नरकरूपी संसार सागर से उद्धार करनेवाले, कानों से श्रवण करने में अमृत के समान नाम वाले, अपने भाल पर चन्द्रमा को आभूषण रूप में धारण करनेवाले, कर्पूर की कान्ति के समान धवल वर्ण वाले, जटाधारी और दारिद्र्य रुपी दुःख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमन है।



गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय

कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय।

गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय

दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥2॥

अर्थ - माता गौरी को अत्यंत प्रिय, चन्द्र कलाओ को धारण करने वाले, जो काल के भी अन्तक रूप हैं, जो नागो के राजा को कंकणरूप में धारण करने वाले हैं, जो अपने मस्तक पर गंगा को धारण करने वाले हैं, जो गजराज का विमर्दन करने वाले हैं, उन दारिद्र्य रुपी दुःख का नाश करने वाले शिव को मेरा नमन है।



भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय

उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय।

ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्यकाय

दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥3॥

अर्थ - भक्ति प्रिय, संसाररूपी रोग एवं भय का नाश करने वाले, संहार के समय उग्ररूपधारी, दुर्गम भवसागर से पार करानेवाले, ज्योति स्वरुप, अपने गुण और नाम के अनुसार सुन्दर नृत्य करनेवाले तथा दारिद्र्य रुपी दुःख का नाश करने वाले शिव को मेरा नमन है।



चर्माम्बराय शवभस्मविलेपनाय

भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय।

मञ्जीरपादयुगलाय जटाधराय

दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥4॥

अर्थ - बाघ के चर्म को धारण करने वाले हैं, चिताभस्म को लगाने वाले हैं, मस्तक पर तीसरा नेत्र धारण करने वाले हैं, मणियों के कुण्डल से सुशोभित, अपने चरणों में नूपुर धारण करने वाले जटाधारी, उन दारिद्र्य रुपी दुःख का नाश करने वाले भगवान शिव को मेरा नमन है।



पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय

हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय।

आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय

दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥5॥

अर्थ - जो पांच मुख वाले नागराज रूपी आभूषण से सुसज्जित हैं, सुवर्ण के समान वस्त्रवाले, तीनों लोकों में पूजित, आनन्दभूमि काशी को वर प्रदान करनेवाले, सृष्टि के संहार के लिए तमोगुण धारण करनेवाले तथा दारिद्र्य रुपी दुःख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमन है।



भानुप्रियाय भवसागरतारणाय

कालान्तकाय कमलासनपूजिताय।

नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय

दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥6॥

अर्थ - जो सूर्य को बेहद प्रिय हैं, भवसागर से उद्धार करनेवाले, जो काल के लिए भी महाकालस्वरूप है, ब्रह्मा से पूजित, तीन नेत्रों को धारण करने वाले, जो शुभ लक्षणों से युक्त हैं, उन दारिद्र्य रुपी दुःख का नाश करने वाले भगवान शिव को मेरा नमन है।



रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय

नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय।

पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय

दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥7॥

अर्थ - भगवान राम को अत्यन्त प्रिय, रघुनाथजी को वर देने वाले, सर्पों के अतिप्रिय, भवसागररूपी नरक से तारने वाले, पुण्यवालों में अत्यंत पुण्य वाले, जिनकी समस्त देव पूजा करते हैं तथा दारिद्र्य रुपी दुःख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमन है।



मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय

गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय।

मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय

दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥8॥

अर्थ - मुक्तजनों के स्वामिरूप, जो चारों पुरुषार्थों का फल देने वाले हैं, जिन्हें गीत प्रिय हैं और नंदी जिनका वाहन है, गजचर्म को वस्त्ररूप में धारण करने वाले, महेश्वर तथा दारिद्र्य रुपी दुःख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमन है।



वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोगनिवारणम्।

सर्वसम्पत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम्।

त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नित्यं स हि स्वर्गमवाप्नुयात् ॥9॥

अर्थ - समस्त रोगों के विनाशक तथा शीघ्र ही समस्त सम्पत्तियों को प्रदान करने वाले पुत्र – पौत्रादि वंश परम्परा को बढ़ानेवाले, वसिष्ठ द्वारा निर्मित इस स्तोत्र का जो भक्त नित्य तीनों कालों में पाठ करता है, उसे निश्चय ही स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है।


॥ महर्षि वशिष्ठ विरचित दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र सम्पूर्ण ॥


Daridrata Dahan Shiv Stotram


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दरिद्रता दहन शिव स्तोत्र कैसे करें?

भगवान शिव की आराधना मनुष्य को सुख समृद्धि के साथ ज्ञान प्रदान करने में भी सक्षम है। सुबह जल्दी उठ कर स्नान आदि कर ले फिर अपने पूजा स्थान में बैठ कर भगवान शिव का ध्यान कर मन में संकल्प ले, जो मनोकामना हो उसका ध्यान करें फिर पाठ का आरंभ करें। 

आप श्लोकों को गाकर पढ़ सकते है वरना मन में भी पाठ कर सकते हैं जैसा आपको ठीक लगे। प्रतिदिन इसका पाठ करने से सुख समृद्धि प्राप्त होगी और सभी रोगो से मुक्त होकर अच्छा स्वास्थ प्राप्त होगा।