वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी कहा जाता है यह दिन माता सीता के जन्म के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि मंगलवार के दिन पुष्य नक्षत्र में माता सीता का जन्म हुआ था। माता सीता का विवाह श्री राम से हुआ था जिनका जन्म भी चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था। हिंदू कैलेंडर पर सीता जयंती रामनवमी के एक महीने बाद आती है।

माता सीता को जानकी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि वह मिथिला के राजा जनक की गोद ली हुई बेटी थीं। इसलिए इस दिन को जानकी नवमी के नाम से भी जाना जाता है। 


माता सीता की नगरी कहा पर स्थित है?


Sita Navami 2024

नवमी तिथि प्रारम्भ - 16 मई 2024 को 06:22 AM

नवमी तिथि समाप्त - 17 मई 2024 को 08:48 AM 


कैसे हुआ माता सीता का जन्म?

माता जानकी के जन्म को लेकर हमारे धर्म ग्रंथो में दो कथाए प्रचलित है, क्या है वो कथा चलिए जानते है विस्तार से -

वाल्मिकी रामायण के अनुसार

मिथिला नामक राज्य में एक बार घोर अकाल पड़ा तब वहां के राजा जनक को सलाह दी गयी की वे वैदिक अनुष्ठान करके खेतों में स्वयं हल चलाए उससे भगवान प्रसन्न होंगे और वर्षा होगी और अकाल खत्म हो जाएगा। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को जब राजा जनक खेत में हल चला रहे थे, तभी उसी समय एक बंद कलश से उनका हल टकराया। 

उन्होंने उसे धरती से बहार निकाल कर खोल के देखा तो उसमें एक कन्या शिशु थी, उन्होंने धरती माता का आशीर्वाद समझ कर उस कन्या को गोद ले लिया। इस तरह से माता सीता की उत्पत्ति हुई थी, माता सीता का जन्म माँ के गर्भ से नहीं हुआ था। वे धरती से प्राप्त हुई थीं, इसलिए उनको धरती की पुत्री भी कहा गया है।

हल के आगे की नोक को सीत कहते हैं और हल से जोती हुई भूमि को सीता कहा जाता है इसलिए उस कन्या शिशु का नाम सीता रखा गया है।


ब्रह्मवैवर्त पुराण की कथा के अनुसार

पौराणिक कथा के अनुसार माना जाता है की माता सीता अपने पहले जन्म में वेदवती नामक स्त्री थी वे श्री हरि की परमभक्त हुआ करती थी। उनकी इच्छा थी की श्री हरी उन्हें उनके पति रूप में प्राप्त हो। एक समय जब माता वेदवती तपस्या में लीन थी तब रावण वहां से गुजर रहा था। जैसे ही रावण की नज़र वेदवती पर पड़ी वह उनकी सुंदरता को देख कर मोहित हो गया। 

रावण ने वेदवती को अपने साथ लंका चलने को कहा, लेकिन वेदवती ने साफ इंकार कर दिया। इससे वह बहुत क्रोधित हुआ और देवी वेदवती को बल पूर्वक ले जाने का निर्णय किया। जैसे ही उसने वेदवती को स्पर्श किया वेदवती ने अपने तपो बल से खुद को अग्नि के हवाले कर लिया और भस्म हो गयी। 

भस्म होते समय उन्होंने रावण को शाप दिया कि वह अगले जन्म में उसकी पुत्री के रूप में जन्म लेगी और उसकी मृत्यु का कारण बनेगी।

कुछ समय बाद, रावण की पत्नी मंदोदरी ने एक कन्या को जन्म दिया। जैसे ही ये बात रावण को पता चली उसने शाप के भय से उस कन्या को सागर में फेंक दिया। सागर की देवी वरुणी ने इस कन्या को सुरक्षित कर धरती माता को सौंप दिया और धरती माता ने उस कन्या को राजा जनक और माता सुनैना को दे दिया। 

राजा जनक और माता सुनैना ने बड़े ही प्यार से अपनी पुत्री के रूप में सीता माता का लालन-पोषण किया। उनका विवाह श्री राम से किया। फिर उसके बाद वनवास हुआ वनवास के दौरान माता सीता का अपहरण रावण ने किया। इसके चलते ही श्री राम ने रावण का वध किया। इस तरह से वेदवंती के दिए श्राप द्वारा माता सीता रावण के वध का कारण बनीं। 



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वर्तमान में माता सीता की नगरी कहा पर स्थित है? 

जनकपुर का नाम प्राचीन समय में मिथिला एवं विदेहनगरी था। पुराणों के अनुसार जनकपुर के चारों ओर रक्षक देवता के रुप में  शिव मंदिर थे। जिनके नाम शिलानाथ, कपिलेश्वर, कूपेश्वर, कल्याणेश्वर, जलेश्वर, क्षीरेश्वर, तथा मिथिलेश्वर है यह आज भी जनकपुर, सीतामढ़ी अथवा दरभंगा से 24 मील दूर नेपाल में स्थित है।