भगवान विष्णु के दस महा-अवतारों में से एक है भगवान परशुराम। भगवान परशुराम को अपने पिता द्वारा चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त है यानि वो इस धरती के अंत तक जीवित रहेंगे और अपने कार्य को पूर्ण करंगे। 


parshuram jayanti 2023


परशुराम जयंती कब मनाई जाती है?

सनातन धर्म ग्रंथो के अनुसार वैशाख के माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया को सृष्टि के पालनहार भगवान नारायण ने परशुराम के रूप में धरती लोक पर जन्म लिया। इसलिए इस दिन को परशुराम जयंती के रूप में मनाया जाता है। 


परशुराम जयंती 2023 
तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 22, 2023 को प्रातः 07:49 
तिथि समाप्त - 23 अप्रैल 2023 को प्रातः 07:47 


भगवान परशुराम की कथा 

पुराणों धर्म ग्रंथो के अनुसार प्राचीन काल में महिष्मती नगर हुआ करता था जिसमे क्षत्रिय राजा सहस्त्रबाहु का शासन था। भगवान दत्तात्रेय द्वारा कार्त्तवीर्याजुन को हजार हाथों के बल का वरदान प्राप्त था, जिसके कारण उन्हें सहस्त्रार्जुन और सहस्रबाहु अर्जुन कहा जाने लगा। 

सहस्रबाहु अर्जुन अपनी ताकत के घमंड में क्रूर और निर्दयी हो गया और अपनी ही प्रजा पर अत्याचार करने लगा उसके अत्याचार से प्रजा में त्राहिमाम मच गया। यह सब देख पृथ्वी माता ने श्री हरी नारायण से इन अत्याचारों से मुक्त होने की प्राथना की। 

तब श्री हरी ने पृथ्वी माता को आश्वासन देते हुए कहा "जब-जब इस धरती पर धर्म पतन करने की कोशिश की जाएगी तब-तब में धर्म स्थापना के लिए जरूर अवतरित होता रहूंगा"। 

आगे चलकर भगवान विष्णु ने महर्षि जमदग्नि और रेणुका के पुत्र परशुराम रूप में जन्म लिया और कई बार इस संसार से दुष्ट क्षत्रियो का नाश कर धरती को अत्याचारों से मुक्त किया। 

मान्यता है की भगवान परशुराम को अमरता का वरदान प्राप्त है इसलिए उनके बारे में रामायण और महाभारत में भी बताया गया है और वो इस धरती के अंत तक जीवित रहेंगे। कलयुग के अंत में भगवान नारायण के दसवे अवतार कल्कि के गुरु के रूप में उपस्थित रहेंगे और कल्कि अवतार को धर्म, शस्त्र-शास्त्र का ज्ञान देंगे। 


परशुराम जयंती पूजा विधि 

  • प्रातः सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर लें।
  • स्वच्छ कपड़े पहन कर मंदिर की साफ-सफाई कर ले। 
  • चौकी पर स्वच्छ पीला कपड़ा बिछाकर भगवान परशुराम या श्री हरी की मूर्ति स्थापित करें। 
  • भगवान की पूजा, आराधना आरती कर भगवान को अक्षत-पुष्प आदि चढ़ाए। 
  • आप चाहे तो व्रत भी रख सकते है। 


भगवान परशुराम मंत्र

ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।।

ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्।।

ॐ रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नम:।।



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प्रश्न - भगवान परशुराम का जन्म स्थान कहा है?
उत्तर - पहली मान्यता के अनुसार भगवान परशुराम का जन्म वर्तमान बलिया के खैराडीह में हुआ था। दूसरी मान्यता के अनुसार छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में घने जंगलों के बीच कलचा गांव में स्थित शतमहला में भगवान परशुराम का जन्म हुआ। तीसरी मान्यता के अनुसार मध्यप्रदेश के इंदौर से कुछ ही दूरी पर स्थित जानापाव की पहाड़ी पर भगवान परशुराम का जन्म हुआ। चौथी मान्यता के अनुसार उत्तर प्रदेश के जलालाबाद में जमदग्नि आश्रम से दो किलोमीटर पूर्व दिशा में प्राचीन मन्दिर के अवशेष मिलते हैं जिसे भगवान परशुराम की जन्मस्थली कहा जाता है।