माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन को बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। यह त्यौहार माता सरस्वती को समर्पित होता है। इस दिन से वसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है। बसंत का अर्थ होता है सौंदर्य - प्रकृति, वाणी, शब्द इनका सौंदर्य जब चारो और छाह जाता है।
तब वसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है। ऐसे सिर्फ दो महीने है जो हिन्दू धर्म में बताए गए है जिसकी खूबसूरती का असर सीधा-सीधा हमारे मन में होता है। पहला सावन और दूसरा बसंत पंचमी, तो चलिए जानते बसंत पंचमी से जुडी जानकारी।
बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है।
बसंत पंचमी पौराणिक कथा
पौराणिक कथा की मान्यता के अनुसार श्री हरी नारायण की आज्ञा से ब्रह्मा देव ने जीव योनि की रचना की पर वह अपनी इस रचना से संतुष्ट नहीं थे, क्योंकि चारो तरफ मौन मुद्रा में जीव रहते थे यहाँ देख ब्रह्माजी ने अपने कमंडल से जल लिया और धरती की तरफ छिड़का जिससे वह एक दिव्य शक्ति उत्त्पन हुई। उस शक्ति की चार भुजाए थी दो हाथो में वीणा तीसरे हाथ में पुष्तक और चौथे हाथ में माला थी। यहाँ देख ब्रह्माजी ने देवी से वीणा बजाने की प्राथना की जैसे ही देवी ने वीणा की मधुर राग बजाय चारो तरफ ज्ञान फैल गया सभी जीव-जन्तुओ को वाणी प्राप्त हो गयी चारो तरफ उत्सव का माहौल बन गया तीनो लोक झूम उठे। उनकी मधुर वाणी सुन ब्रह्माजी ने उन्हें वाणी की देवी सरस्वती नाम दिया। तब से इस दिन को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
बसंत पंचमी 2023 शुभ मुहूर्त
बसंत पंचमी की पूजा करने की विधि
सुबह जल्दी उठ के स्नान कर पीले वस्त्र पहन ले। अपने पूजा स्थान की साफ़ सफाई करे एक चौकी लगाए, उसमे पीला कपड़ा बिछाए, उसके ऊपर माता सरस्वती की मूर्ति रखे, उनपर पीले फूल चढ़ाये, माता को पीले चन्दन का टिका लगाए, पीले बूंदी के लड्डू चढ़ाये, हल्दी से रंगे पीले चावल/अक्षत चढ़ाये। माता सरस्वती की पूजा करे उनकी बसंत पंचमी की कथा पढ़े उनकी आरती करे और अगर आप व्रत रखना चाहते है तो माता के आगे व्रत का संकल्प ले।
बसंत पंचमी व्रत विधि
बसंत पंचमी में क्या करे (नियम)
- इस दिन सुबह जल्दी उठ स्नान करे और पिले वस्त्र अवश्य पहने, मान्यता है की इस दिन पिले वस्त्र पहनने से समृद्धि, ऊर्जा, प्रकाश अथवा ज्ञान में बढ़ोतरी होती है।
- पिले रंग के मीठे चावल पकाए और उसका ही भोजन करे। पीला रंग हिन्दू धर्म में बेहद ही शुभ और पवित्र माना गया है।
- माता सरस्वती ज्ञान और वाणी की देवी कहलाती है इसलिए इस दिन जितना हो सके शुभ विचार और शुभ शब्द का प्रयोग करे। क्योंकि कहा जाता है की माँ सरस्वती अगर जुबान में आ जाए तो हर कहा सच हो जाता है।
- अगर आप कोई नई कला की अपने जीवन में शुरुआत करना चाहते है तो वहा दिन यही है क्योंकि ज्ञान की देवी माँ सरस्वती आपकी कला में अपनी दिव्य दृष्टि हमेशा बनाए रखेंगी।
- अगर आप विद्यार्थी है तो आप अपनी पुष्तक अथवा अपनी विद्या से संभंधित हर चीज़ को अपने पूजा स्थान में माँ सरस्वती के चरणों में रख कर अपने बेहतर कल की प्र्थना उनसे कर सकते है।
- इस दिन पिले फूल शिवलिंग में चढ़ाने की मान्यता भी है। आप चाहे तो नज़दीकी शिव मंदिर में जा कर भगवान शिव की भी आराधना कर सकते है।
बसंत पंचमी में क्या न करे
- बसंत पंचमी के दिन भूल कर भी कोई फसल,पेड़-पौधे ना काटे क्योंकि इस दिन से ही वसंत ऋतु की शुरुआत होती है इसके बाद ही पेड़ पौधो में नई उमंग आती है फसल पकती है।
- माँ सरस्वती के दिन की शुरुआत आलास से न करे सुबह जल्दी उठ स्नान करे और पिले वस्त्र पहने, अगर पिले वस्त्र नहीं है तो अन्य वस्त्र पहन ले पर ध्यान रहे काले या गहरे रंग के वस्त्र को धारण न करे।
- अगर आपने व्रत का सकल्प लिया है तो ठीक वरना आप बिना स्नान किये भोजन न करे।
- इस दिन ग़ुस्सा न करे, किसी को भी अपशब्द कहने से बचे, गृह कलेश से परहेज करे, लड़ाई-झगड़ो से दूर रहे।
- बसंत पंचमी के दिन सात्विक भोजन करे मास मदिरा के सेवन से दूर रहे।
- ज्ञान से जुडी किसी भी चीज़ जैसे किताब, विद्या, कार्य का अनादर भूलकर भी मत करे।