अर्धनारीश्वर अष्टकम श्री गुरु आदि शंकराचार्य द्वारा रचित है। अर्धनारीश्वर मर्दाना और स्त्री ऊर्जा के बीच सही संतुलन का प्रतीक है, क्योंकि दो दिव्य प्राणियों की अलग-अलग विशेषताएं एक साथ मिलकर हमें भावना प्रदान करती हैं। जो भी व्यक्ति भक्ति के साथ अर्धनारीश्वर मंत्र का जाप करता है, उसे शिव और देवी पार्वती की कृपा प्राप्त होती है। जिससे उसके जीवन में सुख-सौभाग्य, धन-सम्पदा अथवा सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है।
अर्धनारीश्वर अष्टकम || Ardhanarishwara Ashtakam
चांपेयगौरार्धशरीरकायै कर्पूरगौरार्धशरीरकाय ।
धम्मिल्लकायै च जटाधराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥1॥
कस्तूरिकाकुंकुमचर्चितायै चितारजःपुंज विचर्चिताय ।
कृतस्मरायै विकृतस्मराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥2॥
झणत्क्वणत्कंकणनूपुरायै पादाब्जराजत्फणिनूपुराय ।
हेमांगदायै भुजगांगदाय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥3॥
विशालनीलोत्पललोचनायै विकासिपंकेरुहलोचनाय ।
समेक्षणायै विषमेक्षणाय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥4॥
मंदारमालाकलितालकायै कपालमालांकितकंधराय ।
दिव्यांबरायै च दिगंबराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥5॥
अंभोधरश्यामलकुंतलायै तटित्प्रभाताम्रजटाधराय ।
निरीश्वरायै निखिलेश्वराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥6॥
प्रपंचसृष्ट्युन्मुखलास्यकायै समस्तसंहारकतांडवाय ।
जगज्जनन्यै जगदेकपित्रे नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥7॥
प्रदीप्तरत्नोज्ज्वलकुंडलायै स्फुरन्महापन्नगभूषणाय ।
शिवान्वितायै च शिवान्विताय नमः शिवायै च नमः शिवाय ॥8॥
पाठ का फल
एतत्पठेदष्टकमिष्टदं यो भक्त्या स मान्यो भुवि दीर्घजीवी ।
प्राप्नोति सौभाग्यमनंतकालं भूयात्सदा तस्य समस्तसिद्धिः ॥9॥
|| इति आदिशंकराचार्य विरचित अर्धनारीनटेश्वरस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ||
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