अगर आप हिन्दू धर्म से नाता रखते है तो चार धाम यात्रा के बारे में जरूर जानते होंगे। आपको बता दे जैसे भगवान नारायण को समर्पित चार धाम है वैसे ही भगवान शिव को समर्पित 12 ज्योतिर्लिंग है जिनकी यात्रा सनातन धर्म को मानने वाले अपने जीवन में अवष्य करते है। पर क्या आप छोटा चार धाम के बारे में जानते है।

जी हाँ केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमनोत्री ये उत्तराखंड में छोटा चार धाम के रूप में जाने जाते है। ऐसे ही पंच केदार ये भगवान शिव को समर्पित 5 मंदिरो का समूह है जिसको उत्तराखंड के लोग पंच केदार धाम के रूप में जानते है। चलिए जानते है पंच केदार से जुडी जानकारी -


उत्तराखंड में बसे भगवान शिव के पांच केदार मंदिर


पंच केदार की मान्यता 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पंच केदार द्वापर युग में बनवाया गया क्यूंकि इसकी कथा महाभारत में पांडवो के साथ जोड़ी जाती है बहुत सारे प्राचीन ग्रंथो में इसका उल्लेख भी मिलता है। 

माना जाता है की महाभारत युद्ध के बाद पांडवो पर वंश हत्या का पाप लगा जिसके बाद श्री कृष्ण ने उन्हें महादेव की आराधना करने की सलाह दी। जब पांडव भाई स्वर्ग की यात्रा पर निकले तब व्हे केदारखण्ड जो अब केदारनाथ के नाम से जाना जाता है वह पर पहुंचे और अलग अलग जगह महादेव की तपस्या करने लगे। 

जैसे ही यहाँ बात भगवान शिव को पता चली उन्होंने पांडवो की परीक्षा लेने की सोची और एक बैल का रूप ले लिया। पांडव भाई स्वर्ग जाते वक़्त हर एक जगह रूक कर भगवान शिव का ध्यान करने लगे लेकिन भगवान शिव उनके पास होते हुए भी उनके पास नहीं आये और व्ही अन्य पशुओ के साथ झुंड में खड़े उन्हें देखने लगे। 

बहुत समय बीतने के बाद अचानक भीम की नज़र पशुओ के झुंड में पड़ी उसने देखा एक दिव्य सा दिखने वाला बैल पशुओ के झुंड में खड़ा है। यह देख सारे भाई भगवान शिव को भांप गए तभी भीम ने अपना आकार बड़ा किया और दो पहाड़ो के बीच में खड़ा हो गया। 

बाकी पांडव भाई पशुओ को हटाने लगे सारे पशु भीम की टांगो के निचे से निकल गए लेकिन दिव्य बैल व्ही खड़ा रहा हो अपने आपको धरती में समाने लगा तब सभी भाई ने उसपर झपट्टा मारा और बैल का ऊपरी हिस्सा (कंधा) पकड़ लिया। माना जाता है की बैल का ऊपरी हिस्सा यानि मूह पशुपतिनाथ नेपाल में मौजूद है और बाकी पांच अलग अलग जगह जो कहलाते है पंच केदार। 

बहुत से लोगो का यह भी मानना है की जिस जिस जगह पर भगवान शिव ने पांचो भाई पांडवो को दर्शन दिए उस जगह पर पंच केदार की स्थापना हुई। 


पंच केदार के नाम 

माना जाता है की यहाँ पांचो मंदिर पांडवो द्वारा बनवाये गए थे तो चलिए जानते है पंच केदार मंदिरो के बारे में विस्तार से -


केदारनाथ 

केदारनाथ धाम भगवान शिव के 12 ज्‍योतिर्लिंग में से एक है और साथ ही साथ पंच केदार में सर्वपर्थम रूप में भी माने जाते है। यहाँ उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है, मान्यता है की जब भगवान शिव बैल रूप में धरती पर समा रहे थे तो भीम ने उनकी पीठ पकड़ ली थी उसी समय भगवान अंतर्ध्यान हो गए और आज भी उनकी पीठ रुपी शिवलिंग की वह पूजा होती है। 


मदमहेश्वर

बाबा मदमहेश्वर को मध्यमहेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। यह भी रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ से 18 किमी दूर उखीमठ गाँव में स्थित है। इस मंदिर में भगवान शिव की नाभि की पूजा की जाती है। यह पवित्र मंदिर पंच केदार में दूसरे स्थान पर आता है। 


तुंगनाथ 

 रुद्रप्रयाग के चोपता में स्थित टुंगनाथ पर्वत के शिखर पर बसे है बाबा तुंगनाथ यहाँ पर भगवान शिव की भुजाओं की पूजा की जाती है। इस जगह बाबा तुंगनाथ के साथ आपको पांडवो के पांच छोटे-छोटे मंदिरो के भी दर्शन होंगे। 


रुद्रनाथ 

यहाँ मंदिर चमोली जिले में स्थित है। यहाँ पर भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती और श्री हरी नारायण का  मंदिर भी स्थित है। बाबा रुद्रनाथ में भगवान शिव के मुख की पूजा होती है। बाबा रुद्रनाथ की यात्रा बाकी पंच केदार में सबसे कठिन मानी जाती है। पर यकीन मानिये यह की सुंदरता आपकी सारी थकान उतार देगी। 





कल्पेश्वर 

यहाँ मंदिर पंच केदार का अंतिम मंदिर है इसे कल्पनाथ के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ पर भगवान शिव की जटा की पूजा होती है। यहाँ मंदिर भी चमोली जिले में स्थित है।