हमारे सनातन धर्म में अलग-अलग जगहो पर अलग-अलग तरह से मान्यताओं का पालन होता आ रहा है। चार धामों में से एक धाम श्री बद्रीनाथ उत्तराखंड के चमोली जिले पर स्थित है। पर क्या आप लोग जानते है की श्री बद्रीनाथ धाम अपने आप में ही एक यात्रा है जिसको पंच बद्री के नाम से जाना जाता है। इसमें भगवान नारायण के पांच मंदिर उपस्थित है। 

क्या है ये पंच बद्री, इन पांचो मंदिर की विशेषता और इनके बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करंगे। चलिए आगे जानते है पंच बद्री से जुडी सभी महत्पूर्ण जानकारी को -


भगवान विष्णु को समर्पित उत्तराखंड में बसे पांच बद्री मंदिर


पंच बद्री की जानकारी 

पंच बद्री सनातन धर्म को मानने वाले लोगो के लिए बहुत महत्पूर्ण तीर्थ स्थल है। यहाँ पर श्री बद्री विशाल जो की भगवान विष्णु का ही रूप है उनको यह पांचो मंदिर समर्पित है इन पांचो मंदिर में श्री हरी नारायण अपने भीन-भीन रूपों में उपस्थित है। 

मान्यता है की इस जगह पर भगवान नारायण ने तपस्या की और तपस्या में विघ्न जैसे की बर्फ, वर्षा जैसी समस्या के चलते माता लक्ष्मी से देखा नहीं गया और वह भगवान नारायण के पास बैर (बदरी) के पेड के रूप में उनकी रक्षा करने लगी। 

जैसे ही भगवान अपनी तपस्या से उठे उन्होंने माता लक्ष्मी का यह बलिदान देख उनको आशीर्वाद दिया की इस जगह में मुझे आपके नाम से यानी बद्रीनारायण के रूप में पूजा जाएगा। ऐसे भगवान का नाम बद्री के नाथ श्री बद्रीनाथ पड़ा। चलिए अब इसके पांचो मुख्य मंदिर के बारे में जानते है -


बद्रीनाथ 

यहाँ मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। पंच बद्री में प्रमुख और भारत के चार धामों में से एक है। बद्रीनाथ में भगवान नारायण की शालिग्राम से बनी ध्यान योग में चार भुजाओ वाली भव्य मूर्ति स्थापित है। माना जाता है की इस मंदिर का निर्माण गुरु शंकराचार्य द्वारा आठवीं सदी में करवाया गया उनके द्वारा ही भारत में चार धाम यात्रा को शुरू करवाया गया। 


योगध्यान बद्री

चमोली जिले में स्थित अलकनंदा नदी के किनारे गोविन्द घाट के पास उपस्थित श्री योग ध्यान बद्री, माना जाता है की यहाँ मंदिर भी पांडवो द्वारा बनवाया गया है। एक बार पांडव के पिता राजा पाण्डु ने जंगल में जानवर समझ एक ऋषि पर बांड से प्रहार कर दिया जिससे उसकी मृत्यु हो गयी और उसने अपनी मृत्यु से पहले राजा पाण्डु को श्राप दिया की वो जिस भी समय सम्भोग करेगा उसी समय उसकी मृत्यु हो जयेगी। 

उसके बाद राजा ने इसी जगह भगवान विष्णु की घोर तपस्या की और भगवान ने उन्हें श्राप मुक्त किया। इस जगह पर द्रौपदी द्वारा पुत्रो को जन्म दिया गया और तब से इस जगह को पंडुकेश्वर नाम से भी जाना जाता है। 


भविष्य बद्री

यहाँ मंदिर चमोली जिले में स्थित है। जोशीमठ से करीब 11 किमी दूर सलधार नामक स्थान से 6 किमी की पद यात्रा करके भविष्य बद्री मंदिर तक पंहुचा जाता है। यहाँ मंदिर भगवान नारायण के नरसिंघ अवतार को समर्पित है। इसके कपाट भी बद्रीनाथ के साथ-साथ ही खोले बंद किये जाते है।  

इस मंदिर का निर्माण भी आदि गुरु शंकराचार्य ने करवाया था यहाँ पर हर साल जन्मआष्ट्मी के दिन मेला लगता है।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जय-विजयनामक दो पहाड़ो के गिरने से भविष्य में बद्रीनाथ के कपाट बंद हो जाएंगे तब भगवान बद्रीनाथ को यहाँ पूजा जाएगा इसलिए इसका नाम भविष्य बद्री है।  


वृद्ध बद्री

वृद्ध बद्री मंदिर चमोली जिले के जोशीमठ से 7 किमी दूरी पर अनिमथ गांव में स्थित है। यहाँ पर भगवान के वृद्ध रूप की पूजा होती है पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नारद जी द्वारा घोर तपस्या करने पर भगवान विष्णु ने वृद्ध रूप में नारद मुनि को इसी जगह दर्शन दिए थे। 


आदिबद्री

आदिबद्री चमोली जिले के कर्णप्रयाग से 17 किमी दूर पर स्थित है। यह पर 16 मंदिर का समूह है। जिसमे भगवान विष्णु के अलावा माता लक्ष्मी, श्री गणेश, श्री राम, नर-नारायण, हनुमान, भगवान शिव आदि मंदिर उपस्थित है। कहा जाता है की यह मंदिर पांडव द्वारा स्वर्ग जाते वक़्त बनवाया गया था।