भगवान विष्णु सृष्टि के पालन हार है ये त्रिदेवो में से एक है। शास्त्रों में भगवान विष्णु के 24 अवतार बताए हैं, लेकिन उनमें ये 10 अवतार प्रमुख माने जाते है। जब-जब सृष्टि में कुछ भी अधर्म या नियम के विरुद्ध होता है तो श्री हरी अपने अवतार में धरती पर जन्म लेते है और पापियों का अंत कर सृष्टि को पुनः संचालित करते है।

क्या आप इनके 10 महा-अवतारों के बारे में जानते है की किस कारण भगवान ने ये रूप धारण किये? चलिए इनके पहले अवतार से शुरू करते है।


10 Avatars of Lord Vishnu


भगवान नारायण के 10 अवतार 


(1) मत्स्य अवतार 

यह अवतार भगवान विष्णु के महा-अवतारों का पहला अवतार है, इस अवतार में भगवान विष्णु मछली बनकर प्रकट हुए थे। एक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने एक ऋषि को सब प्रकार के जीव जंतु को एकत्ररित करने के लिए कहा और जब पृथ्वी जल में पूरी तरह डूब रही होती है। 

तब मत्स्य अवतार उस ऋषि और बाकी जीव जन्तुओ को नाव में बिठा कर उनकी रक्षा की थी। इसके बाद भगवान ब्रह्मा जी ने फिर से जीवन का निर्माण किया था। एक दूसरी मान्यता के अनुसार एक राक्षस जिसका नाम हग्रीव था। 

उसने जब चारो वेदो को चुरा कर सागर की गेहराईओ में छुपा दिया था, जिससे संसार में ज्ञान लुप्त हो गया और अधर्म फेल गया तब भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लेकर उस राक्षस का वध किया और चारो वेदो को मुक्त करवाया। 


(2) कूर्म अवतार 

इसको कछप अवतार के नाम से भी जाना जाता है वैशाख मास्स की पूर्णिमा को कूर्म जयंती का पर्व मनाया जाता है। धर्म ग्रंथो के अनुसार इसी दिन श्री हरी विष्णु ने कूर्म यानि कछवे के रूप में अवतार लिया था और जब देवताओ और राक्षसो के बीच समुद्र मंथन हो रहा था। 

तब जिस पर्वत मंदरा गिरी से मेथ कर रहे थे वो समुद्र में धस्ता जा रहा था यह देख कर भगवान विष्णु ने कछवे का अवतार लिया और मंदरा गिरी पर्वत के निचे आ गए जिससे वह एक जगह स्थिर हो गया। 


(3) वराह अवतार 

इस रूप में भगवान का मूह सुवर के समान है, जब हरिनियाक्ष नाम के असुर द्वारा सृस्टि में पाप बड़ गया था उसने पृथ्वी को अपनी शक्तियों से पाताल में पहुंचाने की कोशिश करी जैसे ही वो समुद्र द्वारा पृथ्वी को पाताल ले जा रहा था उसी वक़्त भगवान विष्णु ने वराह अवतार लेकर अपने मूह के ऊपर पृथ्वी को उठा लिया और हरिनियाक्ष का वध करके पृथ्वी को पाताल से अथवा डूबने से बचाया। 


(4) नरसिंघ अवतार 

इस रूप में भगवान का मूह शेर का था इस रूप में भगवान ने अपने सबसे प्रिय भक्त प्रलाद की रक्षा के लिए उसके असुर पिता हिरणिया कश्यप को मारा था। हिरणिया कश्यप हिरनियाक्ष का ही भाई था जिसका वध भगवान ने वराह अवतार में किया था। 


(5) वामनं अवतार 

इस रूप में भगवान ने वामन का रूप धारण किया था, जब राजा बलि ने तीनो लोक देवताओ से जीत लिए थे तब सभी देवता भगवान विष्णु से मदद मांगने आये थे, यही देखते हुए भगवान ने वामन अवतार लिया। 

राजा बलि जो की भगवान के प्रिय भक्त प्रलाद के पौत्र थे और साथ ही साथ नारायण के भक्त भी थे। इसलिए नारायण ने वामन अवतार लेकर उनसे 3 पग जमीन की भिक्षा मांगी राजा बलि बहुत बड़े दानी थे इसलिए वामन के भिक्षा मांगने पर वह मान गए और भगवान ने 2 पग में ही तीनो लोक नाप दिए। 

तीसरे पग को बलि के कहे अनुसार उनके सर पर रख दिया जिससे वह धरती लोक से निचले लोक सुताल लोक में भेज दिया ग्रंथो के अनुसार कहा जाता है की सुताल लोक में राजा बलि का राज है।


(6) परशुराम अवतार 

भगवान परशुराम रेणुका और जमदग्नि के पुत्र थे इसलिए इनको जमदग्निया भी कहते है वे शिव जी पराम् भक्त थे भगवान शिव ने इनकी भक्ति से प्रसन्न होकर इनको एक परसु दिया था इनका नाम भी राम था लेकिन परशु शस्त्र लेने के कारण वह परशुराम कहलाते थे। मान्यता है की इनका जन्म छत्रियो के अहंधकार विध्वंस से प्राणियों को बचाने के लिए हुआ था, कई बार इन्होने छत्रियो का विनाश किया था। 


(7) राम अवतार 

इनको मर्यादा पुरषोत्तम भी कहा जाता है, महा-ऋषि वाल्मीकि ने राम की कथा महा-काव्य रामायण संस्कृत में लिखी थी तुलसी दास जी ने भक्ति काव्य राम चरित्र मानस की रचना की थी। श्री राम अयोध्या के राजा दसरथ और उनकी पहली पत्नी कोसलिया के पुत्र थे। इनका जनम मनुष्यो को मर्यादा का पाठ पढ़ाने अथवा सृस्टि के सबसे ताकतवर असुर राज रावण के वध के लिए हुआ था।  


10 Avtaar of Lord Vishnu


(8) कृष्ण अवतार 

भगवत गीता में भगवान कृष्ण की कहानिया/उपदेश है, इनके गोपाल, गोविन्द, देवकीनंदन, वशुदेव, मोहन, माखन चोर, मुरारी जैसे अनेको नाम है। इन्होने ही अपने मामा कंश जो की एक पापी था उसका वध किया और बाद में महाभारत में भी अर्जुन के सारथी बन कर पांडवो को विजय दिलाई और संसार को कोरवो के पाप से मुक्त किया। इन्होने ही महाभारत में युद्ध से पहले अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। 


(9) बुद्ध अवतार

इनको महात्मा बुद्ध या गौतम बुद्ध भी कहा जाता है उनको बोध धर्म का संस्थापक माना जाता है, ये धर्म संसार के 4 बड़े धर्मो में से एक है। उनके पिता का नाम सुद्धोदना और माता का नाम रानी महामाया था उनका जन्म नाम सिद्धार्त रखा गया था। गौतम बुद्ध अपनी शादी के बाद बच्चे राहुल और पत्नी यशोधरा को छोड़ कर संसार की मोह माया और दुखो से मुक्ति दिलाने के मार्ग पर निकल गए थे। 


(10) कल्कि अवतार 

यह अवतार भगवान विष्णु के 10 महा-अवतारों में आखरी अवतार है, कलियुग पुराण यानि कल्कि पुराण के अनुसार भगवान विष्णु के कल्कि रूप का जन्म कलयुग के अंत में होगा उसके बाद धरती में जितने भी पाप अथवा बुरे प्राणियों का अंत भगवान कल्कि द्वारा किया जायेगा और कलयुग का अंत कर भगवान कल्कि धरती पर सतयुग की स्थापना करंगे।