भगवान शिव जिन्हे देवो के देव, कालो के काल और अपने शांत और भोले स्भाव के कारण भोलेनाथ भी कहलाये जाते है। इस लेख के माध्यम से हम आपको उनके 12 ज्योतिर्लिंग के बारे में बताएँगे।
इस संसार के अधिकतर लोग शिवलिंग के प्रति अलग समझ रखते है। वहे शिवलिंग को भगवान का शारीरिक हिस्सा समझते है, आपको बता दे शिवलिंग का संस्कृत अर्थ चिन्ह अथवा प्रतीक होता है।
जिस तरह हमारा शरीर "पदार्थ" और आत्मा "ऊर्जा" से निर्मित है वैसे ही शिव पदार्थ और शक्ति ऊर्जा का प्रतीक बन कर शिवलिंग कहलाते है।
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग
मान्यता है की अगर कोई इंसान अपने जीवन में इन 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर लेता है उसका जीवन सम्पन्न हो जाता है, महादेव के आशीर्वाद से उसकी सारी इच्छा पूर्ण होती है।
पुराणों के अनुसार ज्योतिर्लिंग कोई सामान्य शिवलिंग नहीं है। इन सभी 12 जगह पर महादेव ने दर्शन दिए थे, और भविष्य में सृष्टि कल्याण के लिए ज्योतिर्लिंग के रूप में अपना एक अंश वह पर स्थापित किया।
तो चलिए आपको इन 12 ज्योतिर्लिंग के बारे में बताते है -
1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
सोमनाथ मंदिर सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है। यहा भव्य मंदिर (वेरावल) गुजरात में स्थित है, इसका निर्माण स्वयं चन्द्र देव द्वारा किया गया था, जिसके बारे में ऋग्वेद में भी बताया गया है।
एक बार प्रजापति दक्ष ने अपने जमाई चंद्र देव से क्रोधित होकर उन्हें श्राप दिया की उनका तेज़ खत्म हो जयेगा। जिससे उनका तेज घटने लगा और वो धीरे-धीरे अपनी शक्तियों से वंचित होने लगे।
तब चंद्र देव ने भगवान शिव की तपस्या करके उन्हें प्रसन्न कर उनसे जीवन दान प्राप्त किया और उस जगह एक भव्य मंदिर का निर्माण किया जिसका नाम सोमनाथ रखा गया।
2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
श्री मल्लिकार्जुन आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर स्थित है। यहा एक मात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जिसमे माता पारवती और भगवान शिव दोनों समिलित रूप से स्थापित है। माना जाता है की हर पूर्णिमा और अमावस्या के दिन भगवान शिव और माता पारवती इस ज्योतिर्लिंग में उपस्थित रहते है।
3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
महाकालेश्वर मंदिर मध्यप्रदेश के उज्जैन नगर में स्थित है। पौराणिक कथा के अनुसार माना जाता है की उज्जैन में भगवान शिव कई भक्त थे। जो हमेशा उनकी पूजा पाठ किया करते थे।
वही पर एक दूषण नाम का राक्षस था जिसके अत्याचार से गांव वाले काफी पीड़ित थे। दूषण हमेशा धार्मिक कार्य में विघ्न डालता था। इसपर कुछ ऋषियों ने उसके अत्याचारों से गांव की मुक्ति के लिए भगवान शिव की पूजा की।
जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने महाकाल रूप में प्रकट उस राक्षस का वध किया और संपूर्ण नगर की रक्षा की। नगरवासियों द्वारा भगवान शिव से इसी स्थान पर हमेशा रहने की प्रार्थना की, उनका भक्ति भाव देख भगवान शिव महाकाल ज्योतिर्लिंग के रूप में वहीं स्थापित हो गए।
4. ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। इस ज्योतलिंग के दो स्वरूप हैं। एक ॐकारेश्वर और दूसरा ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग। ममलेश्वर ॐकारेश्वर से कुछ ही दूर पर स्थित है। वैसे तो यहे अलग-अलग स्थान में स्थित है पर इनको एक ही माना जाता है।
5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में केदार नामक चोटी पर केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। माना जाता है की श्री नर और नारायण ने हज़ारो वर्षो तक निराहार रहके भगवान शिव की तपस्या की थी। जिससे भगवान शिव काफी प्रसन्न हुए और उनसे वर मांगने के लिए कहा।
श्री नर और नारायण ने भोलेनाथ से मनुष्यों के कल्याण और उनके उद्धार के लिए व्ही पे स्थापित होने की प्राथना की। तब भगवान ने ज्योतिर्लिंग के रूप में वह रहना स्वीकार किया।
6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
महाराष्ट्र के पूणे जिले में भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग स्थित है। इस जगह भगवान शिव ने अपने प्रिय भक्त राजा सुदक्षिण को कुंभकर्ण के पुत्र राक्षस भीम का वध कर मुक्त करवाया था। इसके बारे में शिव पुराण में विस्तार से बताया गया है। मानयता है की कोई भी भक्त इसके दर्शन सच्ची श्रद्धा के करता है वह सातो जन्मो के पाप से मुक्त हो जाता है।
7. विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
काशी विश्वनाथ जिसे महादेव की नगरी भी कहा जाता है। यहा उत्तर प्रदेश राज्य के काशी जिले में स्थित है। हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार माना जाता है की यहा नगरी प्रलय आने के बाद भी लुप्त नहीं होगी क्योंकि इसकी रक्षा खुद महादेव करते है।
यहा महादेव की तपोस्थली भी मानी जाती है। जो भी यहाँ पे अपने प्राण त्याग करता है उसको सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से मनुष्य समस्त पापों से छुटकारा पा लेता है।
8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग नासिक, महाराष्ट्र में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग के पास ब्रह्मागिरि पर्वत है जहा से गोदावरी नदी शुरू होती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार ऋषि गौतम पर गों हत्या का पाप लगा था जो उनके बाकियो के ऋषियों ने छल से उनपर लगाया था।
इसके पश्च्याताप के लिए ऋषि गौतम ने घोर तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया और अपने पाप मुक्त की प्राथना की। पर व्हे निष्पाप थे जब ये बात भगवान शिव द्वारा उन्हें पता चली तो उन्होंने अपने बाकी ऋषियों को भी छमा दान देने की भगवान शिव से प्राथना करी।
गोदावरी और ऋषि गौतम के आग्रह करने पर भगवान शिव ने अपना एक अंश ज्योतिर्लिंग के रूप में वह स्थापित किया। माना जाता है की इसके दर्शन करने से भक्तो को पुण्य की प्राप्ति होती है।
9. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु में रामनाथ पुरं जगह पर स्थित है। इसकी स्थापना स्वयं भगवान राम द्वारा की गयी थी और इसको चारो धामों में से एक माना जाता है।
मान्यता है की श्री राम द्वारा रावण का वध करने पर उनको ब्रह्म हत्या का दोष लग गया जिससे मुक्त होने के लिए उन्होंने शिवलिंग को अपने हाथो से बनाकर उसकी पूजा कर भगवान शिव प्रसन्न किया और दोष मुक्त हुए।
साथ ही साथ लोक कल्याण के लिए भगवान शिव से व्ही निवास करने की प्राथना की। भगवान शिव ने उनकी प्राथना को स्वीकार कर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हुए।
10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात राज्य में स्थित है। प्राचीन समय में सुप्रिय नामक व्यापारी एक महान शिव भक्त रहता था। जिसको दारुक नामक राक्षस ने बंधी बना लिया था। क्योकि वह हमेशा शिव की पूजा करता था और दारुक को भगवान की पूजा पाठ करने वालो से नफरत थी। उसकी क्रूरता से सब प्रभावित थे।
अपने भक्त सुप्रिय को दारुक से मुक्ति के लिए भगवान शिव ने ज्योतिर्लिंग रूप में सुप्रिय को दर्शन दिए और उसको पाशुपत-अस्त्र भी दिया जिससे उसने दारुक नामक राक्षस का वध कर भगवान से वही पे स्थापित होने की प्राथना की। जिसके बाद भगवान शिव नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में वह स्थापित हुए।
11. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
वैद्यनाथ धाम झारखण्ड के देवघर में स्थित है। कहा जाता है की यहा शिवलिंग गलती से रावण द्वारा स्थापित किया गया था। इसको रावण लंका ले जाना चाहता था। पुराणों में बताया गया है कि जो मनुष्य इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर लेता है, उसे सारे पापों से मुक्ति मिल जाती है।
12. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग
यहा ज्योतिर्लिंग दौलताबाद, महाराष्ट्र में स्थित है। बहुत से लोग इसको घुश्मेश्वर के नाम से भी पुकारते हैं। एलोरा की प्रसिद्ध गुफाएँ जिसका निर्माण बौद्ध भिक्षुओं के द्वारा किया गया था अथवा श्री एकनाथजी गुरु व श्री जनार्दन महाराज की समाधि इसी मंदिर के समीप स्थित है। यहा भगवान शिव का अंतिम ज्योतिर्लिंग है। इसके दर्शन मात्र से भक्तो की मन इच्छा की पूर्ति होती है।