शनि देव सूर्य अथवा छाया के पुत्र है। उन्हें कर्मफलदाता भी कहा जाता है व्हे मनुष्य के कर्म के अनुसार उन्हें फल देते है। फल अच्छा बुरा केवल मनुष्य के कर्म पर निर्धारित करता है। शनिवार का दिन शनि देव समर्पित होता है इस दिन आप शनि देव की आरती से उनकी आराधना करे।
श्री शनि आरती || Shree Shani Aarti
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी ॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ।
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी ॥
निलाम्बर धार नाथ गज की असवारी ।
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ॥
क्रीट मुकुट शीश सहज दिपत है लिलारी ।
मुक्तन की माल गले शोभित बलिहारी ॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ।
मोदक और मिष्ठान चढ़े, चढ़ती पान सुपारी ॥
लोहा, तिल, तेल, उड़द महिषी है अति प्यारी ।
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ॥
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी ।
विश्वनाथ धरत ध्यान हम हैं शरण तुम्हारी ॥
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी…॥
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