श्री बजरंग बाण "गोस्वामी तुलसीदास" जी द्वारा रचित है। यह भगवान हनुमान को समर्पित सबसे लोकप्रिय और शक्तिशाली भक्ति प्रार्थना है। जीवन से जुड़ी हर प्रकार की चुनौतियों से लड़ने में यह प्राथना काम आती है। 

हनुमान चालीसा की तरह आप इसे प्रतिदिन नहीं कर सकते है क्योंकि इसका उद्देश्य किसी विशेष कार्य की सिद्धि के लिए ही किया जाता है। पूरा जीवन एक संघर्ष है इस संघर्ष का सामना करने की शक्ति आपको बजरंग बाण से प्राप्त हो सकती है। नियमित रूप से बजरंग बाण का पाठ मंगलवार और शनिवार को कर सकते है।


Shri Bajrang Baan


श्री बजरंग बाण || Shri Bajrang Baan


|| दोहा ||

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥


|| चौपाई ||

जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महासुख दीजै॥

जैसे कूदि सिन्धु महि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा॥
आगे जाई लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका॥

जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥
बाग़ उजारि सिन्धु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥

अक्षयकुमार को मारि संहारा। लूम लपेट लंक को जारा॥
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर में भई॥

अब विलम्ब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु उर अन्तर्यामी॥
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होय दुख हरहु निपाता॥

जै गिरिधर जै जै सुखसागर। सुर समूह समरथ भटनागर॥
ॐ हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहिंं मारु बज्र की कीले॥

गदा बज्र लै बैरिहिं मारो। महाराज प्रभु दास उबारो॥
ऊँकार हुंकार प्रभु धावो। बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो॥

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ऊँ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा॥
सत्य होहु हरि शपथ पाय के। रामदूत धरु मारु जाय के॥

जय जय जय हनुमन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा॥
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत हौं दास तुम्हारा॥

वन उपवन, मग गिरिगृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं॥
पांय परों कर ज़ोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं॥

जय अंजनिकुमार बलवन्ता। शंकरसुवन वीर हनुमन्ता॥
बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥

भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बेताल काल मारी मर॥
इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥

जनकसुता हरिदास कहावौ। ताकी शपथ विलम्ब न लावो॥
जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा॥

चरण शरण कर ज़ोरि मनावौ। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं॥
उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई। पांय परों कर ज़ोरि मनाई॥

ॐ चं चं चं चं चपत चलंता। ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता॥
ऊँ हँ हँ हांक देत कपि चंचल। ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल॥

अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होय आनन्द हमारो॥
यह बजरंग बाण जेहि मारै। ताहि कहो फिर कौन उबारै॥

पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की॥
यह बजरंग बाण जो जापै। ताते भूत प्रेत सब काँपै॥
धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तन नहिं रहै कलेशा॥


|| दोहा ||

प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान। 
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान॥


बजरंग बाण का पाठ कैसे करे?

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद साफ़ वस्त्र रंग पीला, लाल या नारंगी पहन ले फिर हनुमान जी की प्रतिमा के सामने आसन बिछा कर उसमे बैठ जाए उनके समक्ष घी का दीप जलाए। आप चाहे को उन्हें मिष्टान आदि फल-फूल भी अर्पित कर सकते है। 

अब आप सबसे पहले विघ्न हर्ता श्री गणेश जी का ध्यान करे इसके बाद सीता-राम का ध्यान करें और फिर बजरंग बाण का पाठ शुद्ध उच्चारण के साथ करे ध्यान रखे की इसे बीच में नहीं छोड़ना होता है एक बार में ही इसे पूरा पढ़े। अंत में हनुमान जी से अपने सारे संकट हरने की अथवा अपनी विजय की कामना करे।


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