जग के नाथ श्री जगन्नाथ भगवान श्री कृष्ण को कहा गया है। इनकी पूजा अर्चना से भक्त के सभी दुःख, कष्ट समाप्त हो जाते है। इस लेख में हम आपको श्री जगन्नाथ जी की आरती बता रहे है, पूर्ण श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ श्री जगन्नाथ आरती को गा कर भगवान की आराधना करे।


श्री जगन्नाथ आरती || Shri Jagannath Aarti


आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी । 

आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी ॥

मंगलकारी नाथ आपादा हरि । 

कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी ॥

आरती श्री जगन्नाथ …!


अगर कपूर बाती भव से धारी । 

घर घरन घंटा बाजे बंसुरी ॥

झांझ या मृदंग बाजे, ताल खनजरी । 

निरखत मुखारविंद परसोत ॥

आरती श्री जगन्नाथ …!


चरनारविन्द आपादा हरि जगन्नाथ स्वामी । 

के अताको चढे वेद की ध्वनि ॥

जगन्नाथ स्वामी के भोग लागो बैकुंठपुरी । 

इंद्र दमन सिंह गजे रोहिणी खड़ी ॥

आरती श्री जगन्नाथ …!


मार्कंडेय स्वं गंगा आनंद भरि । 

सरनार मुनि द्वारे तदे ब्रह्म वेद भानी ॥

धन धन ओह सुर स्वामी आनंद गढ़ी । 

मंगलकारी नाथ आपादा हरि ॥

आरती श्री जगन्नाथ …!


  कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी । 

अगर कपूर बाती भव से धारी ॥

आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी । 

आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी ॥

आरती श्री जगन्नाथ …!


|| इति श्री जगन्नाथ आरती संपूर्णम् ||


Shri Jagannath Aarti


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