६४ योगिनी का प्रारम्भ माँ काली से हुआ है। ये चौसठ योगिनी सृष्टि के आयामों में शासन करती है। कुछ यहाँ बात मानते है की 64 योगिनी माँ पार्वती की सखियाँ है और हमेशा उनके ही साथ रहती है। ये चौसठ योगिनी तंत्र विद्या और योग की देवी है और इनकी साधना ज्यादातर तांत्रिको द्वारा की जाती है। 


भारत में चौसठ योगिनी मंदिर और उनका इतिहास।


कौन है ६४ योगिनी?

64 योगिनी के बारे में दो कथा प्रचलित है। पहली कथा के अनुसार यहाँ मानना है की एक संपूर्ण पुरुष 32 कलाओ से युक्त होता है वही एक संपूर्ण स्त्री भी 32 कलाओ से युक्त होती है। शिव और शक्ति जो सम्पूर्ण कलाओ से युक्त हैं उन दोनों के मिलन से ही ६४ योगिनी प्रकट हुई है। 

दूसरी मान्यता के अनुसार इन आठ देवियों ने शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज राक्षसों के विरुद्ध युद्ध में मां दुर्गा की सहायता की थी और देवी दुर्गा ने स्वयं माताओ की रचना की थी। इनमें से सात दैवीशक्तियों देवों के ही नारी रूप में जानी जाती है। ये सात देवियां अपने पतियों के वाहन और उनके शस्त्र के साथ उपस्थित होती हैं। आठवीं माता स्वयं मां काली को माना जाता है, हर एक माता की सहायक 8 शक्तियां है (8×8=64) इसीलिए इनकी संख्या 64 हो जाती है। 

इन चौंसठ देवियों में से दस महाविद्याएं और सिद्ध विद्याओं की भी गणना कर साधना की जाती है। ये सभी महा-काली के ही भिन्न-भिन्न अवतार रूप हैं। 


आठ प्रमुख योगिनियों के नाम 

  1. सुर-सुंदरी योगिनी
  2. मनोहरा योगिनी
  3. कनकवती योगिनी
  4. कामेश्वरी योगिनी
  5. रति सुंदरी योगिनी
  6. पद्मिनी योगिनी
  7. नतिनी योगिनी
  8. मधुमती योगिनी


चौंसठ योगिनियों के नाम कुछ इस प्रकार है

(1) बहुरूप, (3) तारा, (3) नर्मदा, (4) यमुना, (5) शांति, (6) वारुणी, (7) क्षेमंकरी, (8) ऐन्द्री, (9) वाराही, (10) रणवीरा, (11) वानर-मुखी, (12) वैष्णवी, (13) कालरात्रि, (14) वैद्यरूपा, (15) चर्चिका, (16) बेतली, (17) छिन्नमस्तिका, (18) वृषवाहन, (19) ज्वाला कामिनी, (20) घटवार, (21) कराकाली, (22) सरस्वती, (23) बिरूपा, (24) कौवेरी, (25) भलुका, (26) नारसिंही, (27) बिरजा, (28) विकतांना, (29) महालक्ष्मी, (30) कौमारी, (31) महामाया, (32) रति, (33) करकरी, (34) सर्पश्या, (35) यक्षिणी, (36) विनायकी, (37) विंध्यवासिनी, (38) वीर कुमारी, (39) माहेश्वरी, (40) अम्बिका, (41) कामिनी, (42) घटाबरी, (43) स्तुती, (44) काली, (45) उमा, (46) नारायणी, (47) समुद्र, (48) ब्रह्मिनी, (49) ज्वाला मुखी, (50) आग्नेयी, (51) अदिति, (51) चन्द्रकान्ति, (53) वायुवेगा, (54) चामुण्डा, (55) मूरति, (56) गंगा, (57) धूमावती, (58) गांधार, (59) सर्व मंगला, (60) अजिता, (61) सूर्यपुत्री, (62) वायु वीणा, (63) अघोर, (64) भद्रकाली।



भारत में 64 योगिनी मंदिर

पूरे भारत में 11 मौजूदा चौसठ योगिनी मंदिर पाए जाते हैं, जिनमें से दो ओडिशा में, पांच मध्य प्रदेश में, तीन उत्तर प्रदेश में और एक तमिलनाडु में हैं। चलिए जानते है भारत के 5 चौसठ योगिनी मंदिर और उनके इतिहास के बारे में जानकारी -
 

64 योगिनी मंदिर मुरैना मध्य प्रदेश

यह मंदिर मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में स्थित है जिसे एकट्टारो मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर की बनावट गोलाकार है और इसमें 64 कमरे हैं। इन सभी 64 कमरों में भव्य शिवलिंग स्थापित है। 1383 मिले एक शिलालेख के अनुसार, चौसठ योगिनी मंदिर मुरैना का निर्माण कच्छपघाट के राजा देवपाल द्वारा किया गया था। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर सूर्य के गोचर के आधार पर ज्योतिष और गणित में शिक्षा प्रदान करने का स्थान था।


64 योगिनी मंदिर खजुराहो मध्य प्रदेश

चौसठ योगिनी मंदिर, मध्य प्रदेश के खजुराहो में स्थित देवी का एक ध्वस्त मंदिर है। यहां पर बहुत सारे गर्भ ग्रह टूट गए हैं। यहां पर करीब 67 मंदिर हुआ करते थे, जिसमें 64 मंदिर चौसठ योगिनीओ के मंदिर थे और अन्य मंदिर अन्य देवी-देवताओं को समर्पित थे। माना जाता है की यहाँ मंदिर चंदेल वंश के अस्तित्व में आने से पहले छठवीं शताब्दी में बनवाया गया था। यह मंदिर पूरी तरह से लावा पत्थरों से बना हुआ है। 


चौसठ योगिनी मंदिर जबलपुर मध्य प्रदेश

इस मंदिर के बीच में भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की प्रतिमा स्थापित है। चौसठ योगिनी मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी के दौरान कल्चुरी शासक युवराजदेव प्रथम के द्वारा कराया गया। उन्होंने भगवान शिव और माता पार्वती समेत योगिनियों का आशीर्वाद लेने के उद्देश्य से इस मंदिर का निर्माण कराया था। 



चौसठ योगिनी मंदिर हीरापुर उड़ीसा

भारत का सबसे छोटा चौसठ योगिनी मंदिर यही है। मंदिर के प्रवेश द्वार की बाहरी दीवारों पर द्वारपाल जय और विजय की आकृति उकेरी हुई हैं। इसका निर्माण करने के लिए स्थानीय बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया है और मूर्तियों को बनाने के लिए काले ग्रेनाइट पत्थर का उपयोग किया गया है। यह एक गोलाकार में निर्मित है जिसके चारो तरफ 64 योगिनी माताओ की मूर्ति है और केंद्र में माँ काली की मूर्ति स्थित है। मंदिर की स्थापना 9 वीं शताब्दी में भौम वंश की रानी हीरादेवी ने की थी। 


चौसठ योगिनी मंदिर रानीपुर झारल उड़ीसा

यहाँ मंदिर उड़ीसा के बलांगीर जिले में स्थित है। इस मंदिर को सोमा तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर भी गोल आकार में निर्मित है जिसके गर्भ में देवी पार्वती के साथ तीन मुखी रूप में भगवान शिव विराजमान हैं जो  64 योगिनियों से घिरे हुए हैं। मंदिर का निर्माण 9 वीं शताब्दी में सोमवंशी केशरी राजाओं के शासनकाल में किया गया था।