गंगा दशहरा ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन आता है और वर्तमान में मई या जून के महीने में पड़ता है। गंगा दशहरा को गंगावतरण के नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ है गंगा का अवतरण।
गंगा दशहरा क्यों मनाया जाता है?
गंगा दशहरा, माँ गंगा को समर्पित है इस दिन को माँ गंगा के स्वर्ग से धरती पर आगमन के रूप में मनाया जाता है। राजा भगीरथ के पूर्वजों की शापित आत्माओं को शुद्ध करने के लिए अथवा धरती पर सभी का उद्धार करने के लिए माँ गंगा ब्रह्मा जी के कहने पर पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं।
पृथ्वी पर आने से पहले, देवी गंगा भगवान ब्रह्मा के कमंडल में निवास कर रही थीं जिसके कारण देवी गंगा के पास स्वर्ग की पवित्रता थी जब माता पृथ्वी पर आयी तो उनके साथ स्वर्ग की पवित्रता भी धरती पर आयी।
आपको बता दे की गंगा दशहरा और गंगा जयंती अलग है। गंगा जयंती को देवी गंगा का पुनर्जन्म हुआ था।
गंगा दशहरा तिथि 2023
दशमी तिथि प्रारम्भ - 29 मई 2023 को 11 बजकर 49 मिनट सुबह
दशमी तिथि समाप्त - 30 मई 2023 को दोपहर 01 बजकर 07 मिनट पर
गंगा दशहरा पूजा विधि
इस दिन लोग हरिद्वार, ऋषिकेश, वाराणसी अथवा वो जगह जहा माँ गंगा की पूजा होती है वह जा कर स्नान और पितृ पूजा करते है। पर अगर आप ऐसी जगह पर निवास नहीं करते या किसी कारण वश जा नहीं पा रहे है तो कोई बात नहीं आप अपने घर पर स्नान जल में थोड़ा गंगा जल मिला ले और स्नान कर ले।
फिर आप अपने पूजा स्थान पर बैठ कर माँ गंगा को फूल अथवा भोग लगाए और उनका ध्यान, आराधना, आरती या स्तोत्र में से अपनी इच्छा अनुसार कुछ भी करे। बाद में फल, वस्त्र, धान आदि जरूरतमंदों को अवश्य दान करे।
अगर आप गंगा नदी में जा कर पूजा कर रहे है तो आप दस की गिनती में पूजा पद्धति करे। जैसे दस डुबकी लगाए, दस तरह के फूल,फल, मिष्ठान अर्पित करे, दस दिए जलाए, दस प्रकार की चीज़े दान करे आदि।
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गंगा दशहरा का महत्व
माँ गंगा को पापनाशिनी भी कहा जाता है इस दिन अगर भक्त माँ गंगा की पूजा आराधना करते है तो उनके सभी पापो का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। कोई भी नया समान, नया वाहन, नए घर में प्रवेश के लिए यहाँ दिन अत्यंत शुभ माना गया है।