हनुमान जी के बारे में कौन नहीं जानता जिनके बारे में कहा जाता है चारों जुग प्रताप तुम्हारा । है परसिद्ध जगत उजियारा ।। चारों युग में हनुमान जी का ही परताप से जगत में उजियारा है। वहे भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार सबसे बलवान और बुद्धिमान माने जाते हैं।


हनुमान जी के 10 रहस्य। 

इस लेख के माध्यम से हम आपको भगवान हनुमान जी के बारे में ऐसे 10 रहस्य बताएँगे जो शायद ही आपने अपने जीवन में सुने हो। 


(1) हनुमान जी की माता अंजनी के बारे में रहस्यमय तथ्य। 

पौराणिक कथाओ में माना जाता है की माता अंजनी अपने पिछले जन्म में देवलोक की एक अप्सरा थी। जिसका नाम पुंजिकस्थला था, वह काफी सुन्दर और चंचल स्वभाव की थी। उन्होंने अपनी चंचलता के कारण एक ऋषि की तपस्या भंग कर दी। 

जिससे क्रोधित होकर ऋषि ने उन्हें वानरी होने का श्राप दे दिया। श्राप सुनते ही पुंजिकस्थला ऋषि से क्षमा याचना मांगने लगी, तब ऋषि ने दया दिखाई और कहा कि तुम्हारा वह रूप भी परम तेजस्वी होगा और तुमसे ऐसे पुत्र का जन्म होगा जिसकी कीर्ति और यश से तुम्हारा नाम युगों-युगों तक अमर हो जाएगा।  

इस तरह माता अंजनि को वीर पुत्र का आशीर्वाद मिला। तब जाके अगले जन्म में पुंजिकस्थली ने वानर श्रेष्ठ विरज की पत्नी के गर्भ से वानरी रूप में जन्म लिया। उनका नाम अंजनी रखा गया।


दूसरी मान्यता के अनुसार

माना जाता है की माता अंजनी पुत्र-पुत्री की प्राप्ति न होने पर वह भगवान शिव की तपस्या के लिए वन में चली गयी और बारह वर्षो तक भगवान शिव की तपस्या के बाद उन्हें भगवान शिव ने वरदान स्वरूप अपने 11वे अवतार को उनकी कोख से जन्म लेने का वरदान दिया। 

तब जाके वहे अपने श्राप से मुक्त हुई। बहुत लोगो का यहा भी मानना है की हनुमान जी अपनी माता के श्राप को हरने के लिए पैदा हुए थे।


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(2) हनुमान जी का जन्म स्थान। 

कुछ लोगो का मानना हैं कि हनुमानजी का जन्म झारखंड राज्य के गुमला जिला के आंजन गांव की एक गुफा में हुआ था। इसी जिले के पालकोट प्रखंड में बालि और सुग्रीव का शासन था। 

जंगल और पहाड़ों में घिरे इस आंजन गांव में एक पहाड़ की चोटी पर स्थित बहुत प्राचीन गुफा है। वहा के लोगो की मान्यता है कि यहीं पर माता अंजना और पिता केसरी रहते थे और यहीं पर हनुमान जी का जन्म भी हुआ था।


दूसरी मान्यता के अनुसार 

गुजरात में स्थित डांग जिला प्राचीन काल में दंडकारण्य प्रदेश के रूप में जाना जाता था। डांग जिले के आदिवासियों यह मानते है कि डांग जिले के अंजना पर्वत में स्थित अंजनी गुफा में ही हनुमान जी का जन्म हुआ था। 

मान्यता यहा भी है की जब भगवान राम वनवास जा रहे थे तब पंचवटी की ओर जाते समय डांग प्रदेश से गुजरे थे वहाँ उन्हें सुबिर के पास भगवान राम को शबरी माता ने बेर खिलाए थे।


तीसरी  मान्यता के अनुसार 

इस मान्यता के अनुसार हनुमान जी का जन्म स्थान कैथल माना जाता है। कैथल, हरियाणा का एक शहर है। प्राचीन काल में इसको कपिस्थल नाम से जाना जाता था। कपि के राजा होने के कारण हनुमान जी के पिता को कपिराज कहा जाता था। इसके अलावा यहां पर हनुमान जी की माता अंजनी का एक प्राचीन मंदिर भी है। 


चौथी मान्यता के अनुसार

कर्नाटक राज्य के हम्पी नमक जगह में जिसको प्राचीन काल में किष्किंधा नगरी के नाम से जाना जाता था अंजनी पर्वत है इसी जगह पर मारुतिनंदन का जन्म हुआ और प्रभु श्री राम से उनकी प्रथम भेंट यही पर हुई। 


3. क्या हनुमान जी बंदर थे?

कहा जाता है की उनका नाम हनुमान इसलिए पड़ा क्योंकि हनुमान नाम का अर्थ संस्कृत में होता है विकृत जबड़ा अर्थात बिगड़ी हुई ठुड्डी।

हम अक्सर तस्वीरों में नाटकों में देखते है की हनुमान जी का मुख बन्दर जैसा दिखाया गया है और उनकी पूँछ भी दिखाई गयी है। आपने रामायण दो देखी ही होगी उसमे आपने बहुत जगह हनुमान जी को वानर कहकर संभोधित करते सुना होगा। 

असल में वानर शब्द का अर्थ होता है वन के नर यानी वो प्राणी जिसका जीवन वन से जुड़ा हुआ हो। अगर आप जंगलो में रहने वाले आदिवासियों को वानर कहेंगे तो इसमें कुछ गलत नहीं है। वानर कोई जाती विशेष नहीं होती ये सिर्फ संभोधित करने का तरीका है। 


4. हनुमान जी को सिन्दूर लगाने का रहस्य। 

जब हनुमान जी माता सीता के पास गए तब उन्होंने माता सीता की मांग में सिंदूर लगा देखा और चकित होकर उनसे पूछा मां, आपने ये क्या लगाया है? 

माता सीता ने उनसे कहा कि यह सिन्दूर है, इसको लगाने से उनके स्वामी की लंबी उम्र और कुशलता सदैव रहती हैं और वह इससे प्रसन्न रहते है। तब हनुमान जी ने सोचा कि अगर चुटकी भर सिन्दूर लगाने से स्वामी की लंबी उम्र और प्रसन्नता प्राप्त होती है तो पूरे शरीर में सिन्दूर लगाने से तो वे अमर हो जाएंगे और सदा प्रसन्न रहेंगे। 

फिर हनुमान जी ने पूरे बदन पर सिंदूर लगा लिया। इसी वजह से हनुमान जी को खुश करने के लिए मंगलवार को सिन्दूर उनपे लगाया जाता है या सिन्दूरी वस्त्र उनपे चढ़ाये जाते है। 


5. कौन थी हनुमान जी की पत्नी?

हनुमान जी ने भगवान सूर्य को अपना गुरु बनाया था। वह उनसे अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। 9 तरह की विद्या जो हनुमान जी को सूर्य देव से प्राप्त करनी थी उनमे से सूर्य देव ने 5 विद्या तो सिखा दी लेकिन बची 4 तरह की विद्या ऐसी थी जो केवल किसी विवाहित को ही सिखाए जा सकती थी। 

हनुमान जी पूरी शिक्षा लेने का प्रण कर चुके थे और वे मानने को राजी नहीं थे। इधर भगवान सूर्य के सामने संकट आ गया क्योंकि वहे धर्म के अनुशासन के कारण किसी अविवाहित को कुछ विशेष विद्याएं नहीं सीखा सकते थे। उन्होंने हनुमान जी को शादी करने की सलाह दी और हनुमान जी राज़ी हो गए। 

तब सूर्य देव ने अपनी पुत्री सुवर्चला को हनुमान जी के साथ शादी के लिए तैयार कर लिया। इसके बाद हनुमान जी ने अपनी शिक्षा पूर्ण की और सुवर्चला सदा के लिए अपनी तपस्या में लीन हो गई।


6. कौन था हनुमान जी का पुत्र?

पौराणिक कथाओं के अनुसार जब हनुमान जी माता सीता को खोजने लंका पहुंचे तब उन्हें मेघनाथ ने पकड़ रावण के दरबार में प्रस्तुत किया और रावण ने उनकी पूछ पर आग लगवा दी और हनुमान जी ने जलती हुई पूंछ से लंका जला दी। 

जलती हुई पूंछ की वजह से हनुमान जी को काफी जलन हो रही थी उसको शांत करने के लिए हनुमान जी समुद्र के जल से अपनी पूंछ की अग्नि को बुझाने पहुंचे। उस समय उनके पसीने की एक बूंद पानी में टपकी जिसे एक बड़ी मछली ने पी लिया था। 

उसी पसीने की बूंद से वह मछली गर्भवती हो गई और उससे हनुमान पुत्र ‘मकरध्वज’ उत्पन्न हुआ जो रावण के बेटे पाताल पुरी के राजा अहिरावण को उस मछली से प्राप्त हुआ और अहिरावण ने अपने पाताल पुरी के रक्षक के रूप में मकरध्वज को नियुक्त किया। 


7. भगवान राम द्वारा हनुमान जी को मौत की सजा। 

जब श्री राम अयोध्या के राजा बने तब सारे ऋषियों को साधुओ को आमंत्रित किया गया और नारद जी ने हनुमान जी को ऋषि विश्वा मित्र को छोड़ सारे ऋषि और साधुओ से मिलने को कहा और हनुमान जी मान गए। 

ऋषि विश्वा मित्र को इस बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा पर नारद जी द्वारा भड़काने पर ऋषि विश्वा मित्र क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने शिष्य राम को हनुमान जी को मृत्यु दंड देने का आदेश दिया। अपने गुरु की बात श्री राम नहीं टाल सकते थे और उन्होंने ऐसा ही किया। 

जब श्री राम हनुमान जी को मृत्यु दंड दे रहे थे तब उन्होंने हनुमान जी पर अपने शक्तिशाली बांड से प्रहार किया लेकिन हनुमान जी राम नाम जप रहे थे जिससे उनको कुछ नहीं हुआ। लेकिन श्री राम को अपने गुरु के आदेश का पालन करना ही था इसलिए उन्होंने हनुमान जी पे ब्रह्म अस्त्र चलाया। 

लेकिन हनुमान जी को इससे भी कुछ नहीं हुआ क्योंकि वो राम नाम जपने में लगे हुए थे। ये सब देख नारद जी आस्चर्य चकित हो गए और उन्हें अपनी भूल का बोध हुआ और उन्होंने सबसे इसके लिए छमा मांगी और हनुमान जी को ऋषि विश्वा मित्र द्वारा माफ़ कर दिया गया।


8. आज भी जीवित है हनुमान जी। 

कहा जाता है जब हनुमान जी श्री राम के आदेश पर लंका की अशोक वाटिका में माता सीता से भेट करने गए तब उन्होंने माता सीता को राम जी की अंघूटी दी श्री राम और अपने प्रति हनुमान जी का भक्ति भाव देख माता सीता ने उन्हें अज़र-अमर का वरदान दिया। 

अज़र-अमर का मतलब यानी न कभी उनकी मृत्यु होगी और न कभी उनका शरीर बूढ़ा होगा। इसलिए हनुमान जी को चिरंजीवी कहा गया है और ऐसा माना जाता है की वहे आज भी धरती लोक में वास करते है और कलयुग के अंत में कल्कि अवतार के समय अपनी अहम भूमिका निभाएंगे। 


9. भगवान राम द्वारा शरीर त्याग करते समय हनुमान जी का अनुपस्थित होना। 

ग्रंथो में उल्लेख है की भगवान श्री राम जब अपना देह त्याग रहे थे तब उन्होंने अपनी अंगूठी धरती में एक छेद द्वारा अंदर पाताल में डाल दी और हनुमान जी उस अंगूठी को लाने के लिए भेज दिया। श्री राम ये अच्छी तरह जानते थे की हनुमान जी की उपस्तिथि में वह अपना देह नहीं त्याग पाएंगे। 

अगर वो ऐसा करंगे तो हनुमान जी उनके मोह में धरती का नाश कर देंगे हो सब चीज़ उथल-पुथल कर देंगे। इसलिए श्री राम ने अंगूठी की योजना बना कर हनुमान जी को पाताल भेज अपना अयोध्या से सटे फैजाबाद शहर के सरयू किनारे जल समाधि लेकर महाप्रयाण किया। 

पुराणों में कहा गया है की श्रीराम के अपने निजधाम प्रस्थान करने के बाद हनुमान जी और अन्य वानर किंपुरुष नामक लोक में प्रस्थान कर गए। किंपुरुष लोक स्वर्ग लोग के समकक्ष है। यह किन्नर, वानर, यक्ष आदि जीवों का निवास स्थान है। और यहाँ पर सभी भगवान श्री राम का जाप करते है। 


10. पहली हनुमान स्तुति। 

इंद्र और बाकी देवताओ के बाद धरती पर पहली बार विभीषण ने ही हनुमान जी की शरण लेकर उनकी स्तुति की थी। विभीषण ने हनुमान जी की स्तुति में एक बहुत ही कल्याणकारी और अचूक स्तोत्र की रचना की है जिसको 'हनुमान वडवानल स्तोत्र' कहा जाता है। 


श्री हनुमान आरती || श्री हनुमान चालीसा || श्री बजरंग बाण || श्री हनुमान बाहुक


हनुमान मंत्र 

1. ॐ ऐं भ्रीम हनुमते, श्री राम दूताय नम:।

2. ऊँ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट।

3. ऊँ हुँ हुँ हनुमतये फट्।


अंतिम शब्द 

हमारे लेख हनुमान जी के 10 रहस्य । 10 mysterious facts about lord Hanuman in Hindi में बताई गयी सारी जानकारी पुराणों और धर्म ग्रंथो दुवारा इकट्ठी कर आप तक पहुचायी है, अगर आप इस जानकारी से संतुष्ट है तो निवेदन है की इस लेख को अपने बाकी मित्रो के साथ साझा करे।  धन्यवाद।