सनातन धर्म जो अपने आप में ही एक रहस्य है जिसको पूरी तरह समझना कोई आसान काम नहीं है और न कोई व्यक्ति विषेस इसकी पूरी तरह से परिभाषा बता सकता है। सनातन धर्म में (धर्म) को ना ही मंदिर माना गया है, ना गीता माना गया है, ना पूजा-पाठ। 

फिर धर्म क्या है? - धर्म सत्य है, धर्म प्रेम है, धर्म कर्तव्य है अगर मनुष्य धर्म का पालन नहीं करेगा तो पूरी दुनिया का अस्तित्व खतरे में आ जाएगा।

धर्म की तुलना हमेशा कर्तव्य यानी मनुष्य के कर्म से की जाती है। अगर हम मनुष्य है तो हमारे क्या कर्म है जिसका हमे पालन करना चाहिए। हमारे माता-पिता के साथ हमारे कर्म, लोगो-दुनिया के साथ हमारे कर्म, जीवो पेड़ो पक्षियों के साथ हमारे कर्म हमारे देश हमारी संतान के साथ हमारे कर्म। यही सारी चीज़े हमे यज्ञ द्वारा सिखाई जाती है।

अब आप सोच रहे होंगे की यज्ञ का कर्म से क्या लेना देना है?

यज्ञ, इंसानो द्वारा किया गया कर्म है जो लोक कल्याण के लिए किया जाता है।  इसलिए भागवत गीता में श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा है की प्रतेक मनुष्य को कर्म यज्ञ की तरह करने चाहिए। या तो वह उस कर्म/यज्ञ को लोक कल्याण के लिए करे या मेरे लिए सब मोह माया से मुक्त होकर।


कौन है सप्तऋषि?

सप्तऋषि का उल्लेख वेदो, ग्रंथो में हमने कई बार सुना है। वेदों में सप्तऋषिओ को वैदिक धर्म का संरक्षक माना गया है, ये सात ऋषि अनुक्रम में अपने कार्य करते है। इनमे से कुछ ऋषियों को ब्रह्मा जी के मानस पुत्रो के रूप में जाना जाता है मानस पुत्र यानी जिनकी रचना ब्रह्मा जी के मस्तिष्क से हुई हो।


सात ऋषियों के नाम 

वेदो और पुराणों में इन सप्तऋषि के नामो में भेद है। वेदो के हिसाब से सप्तऋषि के नाम कुछ इस प्रकार बताए गए है - (1) वशिष्ठ, (2) विश्वामित्र, (3) कण्व, (4) भारद्वाज, (5) अत्रि, (6) वामदेव और (7) शौनक।

विष्णु पुराणों में बताए गए सप्तऋषि के नाम कुछ इस प्रकार है - (1) वशिष्ठ,  (2) कश्यप, (3) अत्रि,  (4) जमदग्नि,  (5) गौतम,  (6) विश्वामित्र और  (7) भारद्वाज।


Who is Saptarishi?


महर्षि वशिष्ठ

ऋषि वशिष्ठ वैदिक काल के प्रसिद्ध ऋषि है, उनकी पत्नी का नाम अरुन्धती है। ये ब्रह्मा के मानस पुत्रो में से एक है, ये त्रिकाल दर्शी बहुत ज्ञानी ऋषि के रूप में जाने जाते है। ऋषि  वशिष्ठ राजा दशरथ के राजकुल गुरु के साथ-साथ श्री राम के योग गुरु भी रहे है। त्रेता युग के अंत के बाद यहे ब्रह्म लोक चले गए थे। 


महर्षि विश्वामित्र

ऋषि विश्वामित्र ऋषि होने से पहले एक राजा थे इनके पिता राजा गाधि थे। उन्होंने कामधेनु गाय को हड़पने के लिए ऋषि वशिष्ठ से युद्ध किया और उनके १०० पुत्रो को मार दिया पर फिर भी वह युद्ध हार गए। 

हार से प्रेरित होने के बाद उन्होंने कठोर तपस्या की। मेनका द्वारा ऋषि विश्वामित्र की तप भंग करने की गाथा जगत प्रसिद्ध है। जगत प्रसिद्ध गायत्री मंत्र की रचना भी इनके द्वारा की गयी है। 


महर्षि कण्व

सोमयज्ञ भारत का सबसे महत्पूर्ण यज्ञ माना जाता है इसको कर्म के अनुसार सबसे पहले ऋषि कण्व द्वारा ही किया गया था। वैसे तो प्राचीन काल में कण्व नाम के बहुत ऋषि हुए लेकिन महर्षि कण्व इनमे सबसे प्रसिद्ध है। इन्होने ही हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत की पत्नी शकुंतला एवं उनके पुत्र भरत का पालन-पोषण अपने आश्रम में किया। 


महर्षि भारद्वाज

इनके पिता बृहस्पति और माता ममता है। इनका स्थान भी बाकी महर्षि की तरह उच्च माना गया है। ऋषि भारद्वाज ने 'यन्त्र-सर्वस्व' नामक बृहद् ग्रन्थ की रचना की जिसका कुछ भाग स्वामी ब्रह्ममुनि ने 'विमान-शास्त्र' के नाम से प्रकाशित कराया। 


महर्षि अत्रि

ऋषि अत्रि अनुसूया के पति तथा ब्रह्मा के मानस पुत्र है। माता अनुसूया ने ही सीता माता को पतिव्रत का उपदेश दिया था। त्रिदेव द्वारा प्रसन्न होने के फल स्वरूप इन्हे ब्रह्मा द्वारा चंद्र देव नारायण द्वारा महायोगी दत्तात्रेय और शिव द्वारा महामुनि दुर्वासा पुत्र के रूप में प्राप्त हुए। 


महर्षि वामदेव

वामदेव गौतम ऋषि के पुत्र है और इस दुनिया को संगीत इनकी ही देन है। कहा जाता है की जब यह अपनी माँ के गर्व में थे तब ही इन्हे अपने पूर्व जन्म का सम्पूर्ण ज्ञान हो गया था। भरत मुनि द्वारा रचित भरत नाट्य शास्त्र वामदेव से ही प्रेरित है। 


महर्षि शौनक

ऋषि शौनक शुनक ऋषि के पुत्र अथवा वैदिक आचार्य थे। इन्होने १० हज़ार विद्यार्थी का गुरुकुल को चलाकर    कुलपति का विलक्षण सम्मान हासिल किया। ऐसा माना जाता है की ये सम्मान पहली बार ऋषि शौनक को प्राप्त हुआ। 


सप्तऋषि का कार्य क्या है?

प्राचीन काल से ऋषि-मुनि मानव, जीव अथवा लोक कल्याण के लिए अपना योगदान देते रहे है। योग, अस्त्र, शास्त्र, विज्ञानं एवं चिकित्सा जैसे कई कला इनके द्वारा मनुष्य को प्रदान की गयी है। इसीलिए इनका स्थान देवताओ से भी ऊँचा माना गया है। 

यह सप्तऋषि मानव कल्याण के लिए कार्य करते है। त्रिदेवो के निर्देश अनुसार यहा ऋषि अच्छे और बुरे में संतुलन बनाये रखते है।