हमारे धर्म में नाग को देवता माना गया है और इनकी पूजा त्यौहार इस देश की प्रथा है। पर क्या आप जानते है की नाग की उत्पत्ति कैसे हुई। सभी नागो में सबसे सर्वश्रेस्ट नाग कौनसा है, भगवान शिव और श्री हरी के नागो के नाम क्या है। ये सब जानकारी आपको इस लेख के माध्यम से बताई जाएगी।  


नाग पंचमी


नाग जाती के जन्म की कहानी 


पुराणों के अनुसार कश्यप ऋषि का विवाह दक्ष प्रजापति की 17 पुत्रियों से हुआ था। जिनमे से एक पत्नी का नाम  
कद्रू था। एक बार देवी कद्रू से महर्षि कश्यप ने प्रसन्न होकर वरदान मांगने को कहा तब देवी कद्रू ने उनसे 1000 महाबलवान शक्तिशाली पुत्रो का वरदान माँगा। 

वरदान के बाद देवी कद्रू ने 1000 नाग के अंडे दिए और 1000 नागो की माता बनी। उनमे से ही सबसे बड़े नागो को अष्टकुल की श्रेणी में रखा गया है जिनके नाम इस प्रकार है - शेषनाग(अनंत), वासुकि, तक्षक, कर्कोटक, पद्म, महापद्म, शंख, कुलिक ये आठ नागो को अष्टकुल बताया गया है। 

कुछ ग्रंथो में पांच नागो को प्रमुख कुल बताया गया है जिनके नाम कुछ इस प्रकार है - शेष नाग(अनंत), वासुकि, तक्षक, कर्कोटक और पिंगला।  

अग्नि पुराण में 80 प्रकार के नाग कुल का वर्णन मिलता है।                                        

आपको बता दे की पुराणों में नाग को सर्प से अलग बताया गया है। मान्यता है की कश्यप ऋषि की पत्नी जिनका नाम क्रोधवशा था उनसे सर्प-बिच्छू जैसे विषैले जंतु पैदा हुए थे।  


नागो का लोक कहा है?

पौराणिक कथाओ के अनुसार 7 पाताल में से एक महातल सभी नागो और विषैले सर्पो का लोक है। यहाँ पर महर्षि कश्यप की पत्नी कद्रू और क्रोधवशा से पैदा हुए अनेको सर वाले सर्प अथवा नाग रहते है। पाताल में "नागलोक" नामक राज्य है जहा पर वासुकि नाग राज करते है। 


श्री हरी और भगवान शिव के नाग कौन है? 


शेषनाग - शेषनाग सभी नागो में सबसे बड़े और सबसे ताकतवर माने गए है इनका एक नाम अनंत भी है। यह नारायण का ही रूप माने जाते है। यह नारायण के शयन बनकर उन्हें धारण करते है। 

वासुकि - वासुकि नाग सभी नागो के दूसरे राजा थे। शेषनाग के बाद इन्हे ही सभी नागो में सबसे बलवान माना जाता है। माना जाता है की यह अत्यंत विशाल और लंबे शरीर वाले थे। 

समुन्द्र मंथन के दौरान देवता और असुर ने इन्ही की रस्सी बना कर मंदराचल पर्वत से मंथन किया था। भगवान शिव के प्रिय होने के कारण भगवान शिव इन्हे अपने गले में धारण करते है। 


नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है?

श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी मनाई जाती है। पौराणकि कथा और मान्यता के अनुसार कहा जाता है की एक बार अर्जुन के पौत्र और राजा परीक्षित के पुत्र जन्मजेय ने नाग वंश का विनाश करने के लिए यज्ञ रखा। 

माना जाता है की यह यज्ञ इतना शक्तिशाली था की जैसे इसमें मंत्र पड़ते वैसे ही सभी नाग अपने आप यज्ञ आहुति में आकर जल जाते। 

ऐसा व्हे इसलिए कर रहे थे क्योंकि वो सर्पो से बदला लेना चाहते थे। क्योंकि राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नामक    सर्प के काटने से हुई थी। सर्पो को यज्ञ की आहुति से बचाने के लिए ऋषि जरत्कारू के पुत्र ऋषि आस्तिक मुनि का योगदान था। 

ऐसा उन्होंने सावन की पंचमी के दिन किया इस उपकार के बदले नागो ने ऋषि से कहा की इस दिन जो भी मनुष्य नागो की पूजा करेगा उनपे दूध अर्पण करेगा उन्हें कभी नागदंश का डर नहीं होगा। तब से उस दिन को नागो की पंचमी कहकर पूजने लगे।